काठमांडू। नेपाल में दसैं त्योहार की अष्टमी के दिन तीन साल की एक बच्ची नई साक्षात देवी चुन ली गई। हिंदुओं और बौद्धों ने नई देवी की पूजा की। तृष्णा शाक्य ने एक मंदिरनुमा भवन में नई देवी का स्थान ग्रहण किया। तृष्णा को ‘कुमारी’ नाम दिया गया है।
तृष्णा ने पूर्ववर्ती मतीना शाक्य के 12 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद पदभार ग्रहण किया है। मतीना नौ साल तक देवी के पद पर रही थीं।
तृष्णा शाक्य को राजधानी में धार्मिक समारोह के बीच एक मंदिर महल में ले जाया गया था, जहां वह युवा होने तक रहेंगी।
यह समारोह दो सप्ताह तक चलने वाले दसैं त्योहार के आठवें दिन मनाया गया। यह नेपाल का मुख्य त्योहार है।
इस स्थान के लिए तृष्णा शाक्य समेत चार लड़कियां फाइनल में थीं। चयन प्रक्रिया 21 दिनों तक चली, जिसके दौरान उम्मीदवारों को कठोर परीक्षणों से गुजारा गया, जिसमें एक परंपरा बकरी और भैंसों के कटे सिर के साथ एक रात बिताने की भी थी।
देवी बनने के लिए लड़की की आंखें और दांत सही होने चाहिए। चेहरा निशान मुक्त होना चाहिए और कौमार्य की रक्षा के लिए धीरज होना चाहिए। तृष्णा का जन्म काठमांडू के दल्लू इलाके में स्थित आवास क्षेत्र में रहने वाले विजय रत्न और सृजिना शाक्य के घर में हुआ था।
सैकड़ों अनुयायी और भक्त इस देवी की झलक पाने के लिए इकठ्ठा हुए। तीन साल की देवी लाल पोशाक पहने हुए थी और मालाओं से ढकी हुई थी।
मंदिर महल में तृष्णा के आगमन के तुरंत बाद उनकी पूर्ववर्ती मतीना शाक्य अपने परिवार और भक्तों द्वारा लाई गई एक पालकी में पीछे के द्वार से बाहर निकल गईं।