जयपुर। पृथ्वीराज नगर के नियमन के लिए सरकार ने रास्ता तो खोल दिया, लेकिन उसमें गृह निर्माण सहकारी समितियां सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।
सोसायटी अपनी मनमर्जी से जेडीए में रिकॉर्ड जमा करवा रही है। इस कारण से पृथ्वीराज नगर की 500 से अधिक कॉलोनियों का रिकॉर्ड अभी तक जेडीए में जमा नहीं हो सका।
पिछले दिनों सरकार ने नव बर 2014 तक रिकॉर्ड जमा करवाने का समय भी सोसायटियों को दिया था। लेकिन कुछ ही कॉलोनियों का रिकॉर्ड जमा हो सका। उनमें सर्वाधिक रिकॉर्ड तो कॉलोनियों के लोगों ने विकास समितियां बनाकर जमा करवाया। अब तक करीब 400 कॉलोनियों का ही रिकॉर्ड जमा हो पाया है।
ऑडिट के लिए नहीं उठाया कोई कदम
पिछले दिनों सरकार के समक्ष सोसायटियों पर लगाम कसने के संबंध में एक अहम बैठक हुई थी। बैठक निर्णय हुआ था कि सहकारिकता विभाग सभी सोसायटियों के रिकॉर्ड की ऑडिट करेगा, जिससे यह पता चलेगा कि सोसायटी द्वारा कितनी कॉलोनियों बसाई है और उनमें कितने भूखण्ड है। लेकिन उस पर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।
नियमन नहीं तो विकास नहीं
इन 500 से ज्यादा कॉलोनियों का जब तक रिकॉर्ड जमा नहीं होगा और नियमन नहीं होगा तब तक कॉलोनी का कुछ नहीं होगा। कॉलोनियों की स्थिति ये है कि न तो वहां सड़कें है और न ही रोड लाइटें। सड़कों की जगह बड़े-बड़े गढ्डे होने के कारण बारिश के दिनों में लोगों को नारकीय जीवन जीना पड़ता है।
जेडएलसी में अटकी कॉलोनियों
अब जिस कॉलोनियों का रिकॉर्ड जेडीए में जमा हो गया है वे लगभग सभी जोनल लेवल कमेटी(जेडीएलसी) की रिपोर्ट में अटकी पड़ी है।