नई दिल्ली। अमरीकी सरकार विदेशी पेशेवरों को लेकर वीजा कानूनों में बदलाव कर सकती है। जिसके बाद अमरीकी कंपनियों को ऐसे पेशेवरों को प्राथमिकता देनी होगी, जो अमरीकी विश्वविद्यालयों से प्रशिक्षित हैं।
ऐसे में इसका असर कंपनियों पर भी पड़ेगा, जो भारतीय पेशेवरों को काम के लिए अमेरिका भेजती है। अमरीकी सांसद चक ग्रासले और डिक डरबन ने जल्दी ही अमरीकी संसद में वीजा नियमों को लेकर नया विधेयक लाने का ऐलान किया है।
जिसके मुताबिक कंपनियों को अमरीकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशियों को अमरीका में नौकरी मिलने में प्राथमिकता देनी होगी। इसका सीधा मतलब है कि यदि ये विधेयक पास होकर कानून बनता है, तो ऐसे विदेशी पेशेवरों, जिसमें भारतीय भी शामिल होंगे, को वीजा मिलने में मुश्किलें होंगी, जो अमरीकी विश्वविद्यालयों से शिक्षित नहीं हैं।
सांसदों का कहना है कि वे इस विधेयक के जरिए ये सुनिश्चित करना चाहतेे हैं कि अमरीका में कंपनियां सबसे बेहतर प्रशिक्षित पेशेवरों को पहले मौका दें। क्योंकि देखा गया है कि मानव संसाधन पर लागत कम करने याने सस्ते श्रम के लिए कंपनियां नियमों की अनदेखी करती हैं।
कंपनियां बेहतर प्रशिक्षित पेशेवरों को पैसे देने के बदले सस्ते श्रम के लिए अलग-अलग तरीके ढूंढने लगती हैं| इसी पर रोक लगाने की हमारी कोशिश है। वर्तमान में भारतीय और अमरीकी कंपनियां एच-1बी और एल-1 वीजा के जरिए पेशेवरों से अमरीका में काम करवाती हैं। लेकिन इस विधेयक के पास होने के बाद कंपनियों के लिए अपने पेशेवरों के लिए वीजा लेना आसान नहीं होगा।