शहडोल। शराबी पति की प्रताडऩा से तंग आकर एक नव ब्याहता अपने बाबुल के घर में आ गई। मायके में उसकी सौतेली मां उस पर कहर बरपाने लगी तो तंग आकर उसने मायका छोडऩा ही गंवारा समझा।
गुरुवार 9 अप्रेल को सुभद्रा ताड़ी पिता जगन्नाथ ताड़ी निवासी बीरमद्रनगर कैलाशपुरी मारवाड़ी कब्रिस्तान के पास रायपुर छत्तीसगढ़ यात्री ट्रेन से शहडोल स्टेशन पर उतरी। जहां से वह पैदल सब्जी मण्डी पहुंची और अपनी व्यथा एक सब्जी बेचने वाली महिला से व्यक्त की। सब्जी वाली महिला को नव व्याहता पर तरस आ गया और वह सुभद्रा को लेकर महिला सशक्तीकरण कार्यालय पहुंची। जहां से उसने एसडीएम के पास भेजा गया।
एसडी एम ने उन्हे पुलिस सहायमा केन्द्र भेजा और उन्होंने नारी निकेतन केन्द्र सतना के लिए एक पत्र भी लिखा। 10 अप्रेल शुक्रवार को महिला आरक्षक चम्पा सिंह, मधु एवं एएसआई गेदंलाल गोयल सुभद्रा क लेकर नारी निकेतन सतना गए। सतना से उन्हें यह कहा गया कि मामला दूसरे राज्य का है। इसलिए सुभद्रा को नारी निकेतन रायपुर भेजा जाए। एसडीएम सोहागपुर के पास पुलिस सहायता केन्द्र की टीम पुनरू पहुंची उन्होंने रायपुर नारी निकेतन को पत्र लिखा तब कहीं जाकर सुभद्रा को रायपुर भेजा गया।
शराब ने की जिंदगी खराब
वीरभद्रनगर रायपुर निवासी सुभद्रा ताड़ी ने पुलिस सहायता केन्द्र में अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए बताया कि शादी के बाद वह अपनी ससुराल में केवल दो महीने ही रह पाई। पति शराबी था और उसे आए दिन प्रताडि़त करता था जिस कारण वह अपने पिता के घर आ गई। इसके पहले उसके मां की मृत्यु हो गई थी। परिणाम स्वरूप पिता ने दूसरा ब्याह रचा लिया। उधर, सुभद्रा अपनी सौतेली मां को फूटी आंख नहीं सुहाती थी जिस कारण उसने मायका छोडऩा ही गवारा समझा। 9 अप्रेल को सुभद्रा यात्री ट्रेन से शहडोल स्टेशन पहुंची और काम की तलाश में वह एक सब्जी बेचने वाली के पस पहुंची जहा से उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया।
टूट गए सुभद्रा के सपने
जिंदगी के 18 सावन पार करने के बाद सुभद्रा का ब्याह हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न हुआ। उसे इस बात का बिलकुल एहसास नही था कि जिंदगी उसके लिए बोझ बन जाएगी। ससुराल पहुंचने के बाद उसने पति का रवैया देखा तो वह सुबह से लेकर देर रात शराब के नशे में धुत्त रहकर ऊपर से उसे प्रताडि़त भी करता था जिस कारण उसके हसीन सपने चकना चूर हो गए और वह दर-दर की ठोंकरे खाने के लिए मजबूर हो गई।