परीक्षित मिश्रा-सिरोही। ईको-सेंसेटिव जोन के तहत बने माउण्ट आबू के जोनल मास्टर प्लान के कार्यान्वयन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है। पर्यावरण प्रेमी डाॅ एके शर्मा की ओर से जोनल मास्टर प्लान के माध्यम से बाहरी आबू को विकसित करके वन और पहाडियों को नष्ट करने तथा माउण्ट आबू के स्थानीय लोगों की पुरानी बस्ती को पूरी तरह पर्यटक विहिन करने की साजिश करने की बात को स्वीकार करते हुए एनजीटी ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा राजस्थान सरकार को इस मामले में तलब किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी तब तक यह रोक जारी रहेगी।
डाॅ शर्मा ने सबगुरु न्यूज को बताया कि उन्होंने ट्रिब्यूनल को बताया कि पहले ही जोनल मास्टर प्लान दो की जगह सात साल की देरी से प्रस्तुत किया गया है। जो मास्टर प्लान पेश किया गया है, उसमें भी माउण्ट आबू के मूल बाशिंदों और पुराने माउण्ट आबू को पूरी तरह से वीरान करने की कोशिश की गई है। उन्होंने बताया कि किस तरह से जोनल मास्टर प्लान में 2030 की जनसंख्या के आधार पर बाहरी माउण्ट आबू में निर्माण गतिविधियों को अनुमति देने की कोशिश की है। इससे माउण्ट आबू के पेड कटेंगे और पहाडियां तोडी जाएंगी। आप पढ रहे हैं सबगुरु न्यूज। इतना ही नहीं टोल नाके के बाहर माउण्ट आबू का विस्तार करने से पर्यटक माउण्ट आबू में घुसेगा नहीं, जिससे माउण्ट आबू के मूल बाशिंदों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि जोनल मास्टर प्लान में तीन सौ एकड ग्रीन बैल्ट को निर्माण क्षेत्र में तब्दील करके माउण्ट आबू के पर्यावरण को बडे स्तर पर नुकसान पहुंचाने का काम किया गया है।
उन्होंने ट्रिब्यूनल को बताया कि जिस क्षेत्र में जोनल मास्टर प्लान के तहत माउण्ट आबू में निर्माण गतिविधियों को स्वीकृत किया जाना है उनमें अधिकांश कृषि भूमि हैं। ट्रिब्यूनल ने इस पर संज्ञान लेते हुए जोनल मास्टर प्लान को लागू किए जोन पर रोक लगाते हुए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा राज्य सरकार से जवाब मांगा है। ट्रिब्यूनल में तब तक माउण्ट आबू में जोनल मास्टर प्लान के तहत कोई कन्वर्जन या नए निर्माण की अनुमति नहीं देने का आदेश सरकार को दिया है।
-बाहरी लोगों की जमीन खरीद पर रोक क्यों नहीं
डाॅ शर्मा ने सबगुरु न्यूज को बताया कि उत्तराखण्ड, हिमाचल, सिक्किम में बाहरी लोगों को किसी भी तरह की भूमि खरीदने की इजाजत नहीं है। वहीं गुजरात में बाहरी व्यक्ति को कृषि भूमि विकसित करने की इजाजत नहीं है तो माउण्ट आबू में बाहरी लोगों को भूमि खरीदने पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि बाहरी व्यक्ति बाहरी माउण्ट आबू में कृषि भूमि खरीदकर उसका कन्वर्जन करवाकर बडे लक्सरियस बंगले और पेईंग गेस्ट हाउस बना देंगे, रास्ते बना देंगे, इससे माउण्ट आबू के स्थानीय लोगों तक पर्यटक पहुंचेंगे ही नहीं।
-भू-माफिया और नेताओं को झटका
माउण्ट आबू में स्थानीय लोगों से ज्यादा बाहर से आए बिल्डर, भू-माफिया और प्रभावशाली नेता ज्यादा सक्रिय हो गए थे। इन लोगों ने बाहर माउण्ट आबू में अरबों रुपये निवेश करके कृषि भूमियां खरीद ली थी। अपने प्रभाव से जोनल मास्टर प्लान में जयपुर स्तर पर इतनी बडी तब्दीलियां करवाई कि मूल माउण्ट आबू की बजाय बाहरी माउण्ट आबू में स्थित ग्रीन बैल्ट और कृषि भूमियों पर निर्माण होवे। इतना ही नहीं जयपुर में बैठे नगरीय विकास विभाग व अन्य अधिकारियों ने स्थानीय लोगों की जोनल मास्टर प्लान में ग्रीन बैल्ट को परिवर्तित नहीं किए जाने की दलीलों को नकारते हुए कई एकड ग्रीन बैल्ट को निर्माण क्षेत्र में तब्दील कर दिया। इससे ईको सेंसेटिव जोन का मूल उद्देश्य ही खतम हो गया है। स्थिति यह हो गई थी कि जैसे ही जोनल मास्टर प्लान लागू हुआ था वैसे ही माउण्ट आबू के बाहरी इलाकों में कृषि भूमियों पर काॅलोनियों में प्लाॅटों की बुकिंग तक शुुरू कर दी गई थी।
-इनका कहना है…
जोनल मास्टर प्लान में जिस तरह से माउण्ट आबू के बाहर विकास को अनुमति दी थी उससे स्थानीय लोग व्यथित थे। इसमें पुराने माउण्ट आबू के बाहर की कृषि भूमियां खरीदने वाले बाहरी लोगों का हित ज्यादा था और पर्यावरण व स्थानीय लोगों का नुकसान भी। एनजीटी ने पूछा है कि क्या राहत चाहते हैं, इसके लिए शीघ्र ही मरम्मत और रिनोवेशन में नगर पालिका की दखल और भ्रष्टाचार पर रोक की अनुमति लाएंगे।
डाॅ एके शर्मा
पर्यावरण प्रेमी, माउण्ट आबू।