नई दिल्ली। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को कोई सुनवाई नहीं होती, लेकिन कोर्ट ने दिसंबर 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप मामले की सुनवाई की।
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने जब इस एकमात्र मामले पर सुनवाई शुरू की तो अभियोजन पक्ष ने उन सामान की डमी दिखानी शुरू की जिसके बाद वहां मौजूद निर्भया की मां के आंखों से आंसू निकल आए।
लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों ने इसपर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये असली सामान नहीं हैं, कोर्ट में असली सामान पेश किया जाए। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को डमी सामान हटाने को कहा। हालांकि कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकीलों की इस मांग को खारिज कर दिया कि असली सामान को कोर्ट में पेश किया जाए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्युरी संजय हेगड़े ने कहा कि वारदात के वक्त अभियुक्त मुकेश, मुख्य अभियुक्त राम सिंह के साथ बस में नहीं था। उन्होंने कहा कि मुकेश की कॉल डिटेल के मुताबिक उसने राम सिंह को फोन किया था और दोनों के मोबाइल टावर के लोकेशन अलग-अलग थे।
उनका कहना था कि अगर दोनों के मोबाइल टावर अलग-अलग थे तो दोनों वारदात के समय एक साथ कैसे हो सकते हैं। दोनों के फोन लोकेशन की दूरी भी करीब दो किलोमीटर थी। लेकिन उनकी दलील को दिल्ली पुलिस के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने गलत बताया।
उनका कहना था कि मोबाइल के सिग्नल टावर के अलग-अलग लोकेशन बताने से यह साबित नहीं होता कि दोनों एक ही बस में नहीं थे। एक लोकेशन पर रहते हुए भी मोबाइल के टावर के लोकेशन अलग-अलग हो सकते हैं क्योंकि दोनों के पास अलग-अलग कंपनियों के सिम थे।
संजय हेगड़े ने यह भी कहा कि गैंगरेप की एफआईआर लिखने से पहले पुलिस ने पूरी योजना बना ली थी। उन्होंने दलील दी कि शिकायतकर्ता जो निर्भया का दोस्त था, उसकी शिकायत 17 दिसम्बर की सुबह पुलिस अधिकारी ने लिखी। लेकिन उसने शिकायत लिखने का समय नहीं दर्ज किया।
जिरह के दौरान पुलिस अधिकारी ने स्वीकार किया कि शिकायत लिखने का समय करीब पौने चार बजे सुबह रहा होगा। लेकिन शिकायतकर्ता ने अपनी गवाही में स्वीकार किया है कि उसका बयान करीब पांच से साढ़े पांच के बीच दर्ज किया गया था।
उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर पांच बजकर चालीस मिनट पर एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन मामले की जांच रात्रि में सवा एक बजे ही शुरू हो गई। उनका कहना था कि पुलिस ने शिकायत तब लिखी जब जांच एजेंसी ने अपना रुख तय कर लिया कि इसको कैसे हैंडिल करना है।
संजय हेगड़े ने यह भी कहा कि एकमात्र गवाह निर्भया का दोस्त है जिसके बयान भरोसेमंद नहीं हैं क्योंकि उसके बयान में कई विरोधाभास हैं। उसके बयान एफआईआर से मेल नहीं खाते, जिसकी वजह से उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता।
इसके पहले एक और एमिकस क्युरी राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि दोषियों को फांसी की सजा देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उसे बरकरार रखने के फैसले को रद्द किया जाना चाहिए।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि सजा देते वक्त ट्रायल कोर्ट ने सजा देने के मौलिक तरीकों का पालन नहीं किया। उन्होंने अपनी लिखित दलील में कहा था कि सजा देते समय अपराध प्रक्रिया संहिता का पूरे तरीके से पालन नहीं किया गया। धारा 235(2) और धारा 354(3) का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी बात रखी थी।
उन्होंने कहा था कि अभियोजन और बचाव पक्ष को प्रासंगिक तथ्य रखने का मौका नहीं दिया गया। मौत की सजा देने के सवाल पर पर्याप्त समय ट्रायल कोर्ट ने नहीं दिया।
इसके साथ ही किसी भी अभियुक्त को व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष नहीं रखने दिया गया। उन्होंने दलील दी थी कि मौत की सजा देने के लिए कोई अलग से कारण नहीं बताया गया। मामले पर सोमवार यानि 5 दिसंबर को भी सुनवाई जारी रहेगी।