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देशभक्तों पर लाठियों का मतलब? - Sabguru News
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देशभक्तों पर लाठियों का मतलब?

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देशभक्तों पर लाठियों का मतलब?
NIT srinagar : lathi charge on students condemnable
NIT srinagar
NIT srinagar : lathi charge on students condemnable

हैदराबाद का केन्द्रीय विश्वविद्यालय, दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और अब श्रीनगर का राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) आखिर हमारे देश को किसकी नजर लग गई है? आखिर ये क्या मानसिकता है?

“जिस देश में रह रहे हैं, जहां का अन्न-जल ग्रहण कर रहे हैं, जहां के सारे संसाधनों व शासकीय सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, उसी देश के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं? अपने भारत देश की हार पर पटाखे फोड़े जा रहे हैं, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं।”

आखिर इस पर किस देशभक्त का खून नहीं खौलेगा। श्रीनगर के एनआईटी में पढऩे वाले छात्रों ने जब इस देशद्रोहिता को अपनी आंखों के सामने देखा और हाथों में तिरंगा थाम भारत माता की जय के नारे लगाते हुए इस कृत्य का विरोध किया तो आखिर क्या गलत किया।

अपने ही देश में किसी भी राष्ट्रविरोधी गतिविधि का विरोध करना एक सही कदम कहा जाएगा और पूरे देश की राष्ट्रभक्त शक्तियों को एक स्वर से इसका पुरजोर समर्थन करना चाहिए।

एनआईटी श्रीनगर में 2 अप्रेल से लेकर आज तक जो भी घटनाक्रम घटित हुआ है उससे एक बात पूरी तरह साफ हो गई है कि भारत के भीतर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कुछ ऐसी राष्ट्रविघातक शक्तियां आस्तीन के सांपों की तरह छुपी हुई हैं जिन्हें इस मातृभूमि से नफरत है, भारत माता के जयकारों से नफरत है, यह शक्तियां प्रत्येक उस घटना पर खुशी मनाती हैं जिनमें भारत की हार होती है, यह शक्तियां प्रत्येक उस घटना पर छाती पीटती हैं जिसमें भारत का सिर ऊंचा होता है या कोई बड़ी उपलब्धि भारत के नाम होती है।

इन राष्ट्रद्रोही शक्तियों के हाथ पुलिस, प्रशासन तक में फैल चुके हैं। श्रीनगर की ही बात की जाए तो यह राष्ट्र विघातक शक्तियों ने एनआईए में देशभक्त छात्र शक्ति का पहले पुरजोर विरोध किया और बाद में जब मंगलवार की शाम देशभक्त छात्र जो कि अन्य प्रदेशों के हैं, द्वारा पुलिस से सुरक्षा की मांग की जा रही थी तो उल्टे कश्मीरी पुलिस द्वारा इन्हें बेरहमी से पीटा गया, पुलिस ने इस देशभक्त युवा शक्ति को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस पिटाई में एक सैकड़ा से अधिक छात्र घायल हुए हैं।

“क्या कसूर था इन छात्रों का यही न कि इन्होंने भारत में भारत की ही हार पर पाकिस्तान का झंडा हाथ में थाम खुशी का जश्न मनाने वाले उन आस्तीन के सांपों का तिरंगा हाथ में लेकर विरोध किया था।”

जैसी कि जानकारी सामने आई है इस घटना के बाद एनआईटी श्रीनगर में पढ़ रहे इन दूसरे राज्यों के छात्रों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं और संस्थान छोड़कर अपने प्रदेश वापस जाने को कहा जा रहा है।

जब मंगलवार को यह छात्र एकत्रित होकर इसका विरोध कर रहे थे तब स्थानीय पुलिस ने भी इन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। भले ही केन्द्र सरकार ने इस घटना को गम्भीरता से लिया है, जांच के लिए दो सदस्यीय टीम एनआईटी भेजी है तथा अन्य प्रदेशों से यहां पढऩे वाले छात्रों की सुरक्षा का आश्वासन भी दिया गया है।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर ऐसे समय में न तो राहुल गांधी न केजरीवाल और ओवैसी जैसा कोई तथाकथित धर्मनिरपेक्षता वादी नेता एनआईटी जाकर घायल होने वाले देशभक्त छात्रों के जख्मों पर मरहम लगाने क्यों नहीं पहुंचता, यह वही लोग हैं जो जेएनयू में कन्हैया का समर्थन करने तो वहां पहुंच जाते हैं लेकिन श्रीनगर में जाने की इन्हें फुर्सत नहीं मिलती क्योंकि वहां देशभक्त छात्र शक्ति पर लाठियां बरसाई गई हैं।

ऐसे समय देश के तथाकथित मीडिया की भी बोलती बंद हो जाती है जो कन्हैया, वेमुला और ओवैसी के समर्थन में खुलकर चर्चाएं कराते हैं और षड्यंत्र पूर्वक इस देश का माहौल गंदा करने की कोशिश करते हैं। बेहद शर्मनाक है यह सब कुछ और देशवासियों को इन षड्यंत्रों से सावधान रहने की जरुरत है।
प्रवीण दुबे