इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड में मुख्य अभियुक्त सुरेन्द्र कोली की फांसी की सजा पर रोक 28 जनवरी तक बढ़ा दी है। मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय यशवंत चन्द्रचूड़ और न्यायाधीश प्रदीपकुमार सिंह बघेल की खंडपीठ ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद कोली की फांसी की सजा पर रोक की अवधि 28 जनवरी तक बढ़ाने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
अभियोजन पक्ष के वकील अपनी दलीलें न्यायालय के समक्ष पेश कर चुके हैं जबकि केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को अपना पक्ष प्रस्तुत करना अभी बाकी है हालाकि सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील न्यायालय के समक्ष कोली मामले से संबधित सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर चुके हैं।
पिछले साल 31 अक्टूबर न्यायालय ने पहली बार कोली की फांसी पर रोक 25 नवम्बर तक के लिए बढ़ाई थी जिसके बाद यह पांचवां मौका है जब फांसी पर रोक की अवधि बढ़ाई गई है। मामले की पिछली सुनवाई 22 दिसम्बर को हुई थी। इसके बाद वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।
कोली की फांसी के खिलाफ पीपल यूनियन फार डेमोक्रेटिक राइट्स याचिका दायर की थी जिसमें कोली की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती दी गई थी। इसके लिए याचिकाकर्ता का तर्क यह था कि दया याचिका को तीन साल और तीन माह की लंबी अवधि तक लंबित रखा गया।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 का हवाला दिया गया है। प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता वी.बी. सिंह तथा केन्द्र सरकार की तरफ से एडिशनल सालीसीटर जनरल अशोक मेहता ने पक्ष रखा तथा कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश की कि दया याचिका को तय करने में राज्यपाल व राष्ट्रपति के स्तर से कोई विलम्ब नहीं हुआ है।
दोनों अधिवक्ताओं का कहना था कि दया याचिका खारिज करने में विलम्ब की वजह स्वयं कोली था न कि सरकार। बहस की गई कि कोली द्वारा बार बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से दया याचिका के निस्तारण में विलम्ब हुआ।