नई दिल्ली। नीति आयोग देश में खेलकूद का स्तर सुधारने के लिए लघु और दीर्घकालीन योजनाएं बनाने में जुटा है। इसके लिए उसने आम लोगों से सुझाव मांगे हैं।
गौरतलब है कि रियो ओलंपिक 2016 में भारत ने 118 सदस्यीय खिलाड़ियों का दल भेजा था। लेकिन भारत केवल दो पदक ही हासिल कर सका।
भारतीय दल के प्रदर्शन से निराश प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने नीति आयोग को इस संबंध में 2020, 2024 और 2028 के ओलंपिक खेलों को ध्यान में रख कर विशेष योजना बनाने को कहा है। इसी के मद्देनजर पिछले महीने नीति आयोग ने आम लोगों से सुझाव मांगे।
शनिवार को सुभाष बोस ने नीति आयोग की वेबसाइट पर सुझाव दिया कि हर साल भारत में इंडियन ओलंपिक का आयोजन किया जाए जिसमें ओलंपिक के सभी खेल शामिल हों और इसका स्पोर्ट्स चैनल पर सीधा प्रसारण किया जाए।
बोस ने कहा कि वर्ल्ड रिकार्ड को लक्ष्य करके हर व्यक्तिगत खेल में चार खिलाड़ियों का पैनल तैयार किया जाए। भारत विष्ट का मानना है कि आईआईटी और एनआईटी की तरह देश में टॉप स्पोर्ट्स स्कूल-कालेज खोले जाएं।
राजेन महेश्वरी का कहना है कि खासतौर से आदिवासी इलाकों में स्पोर्ट्स स्कूल और कालेज खोले जाएं। उनका मानना है कि इन इलाके के बच्चों में तीरंदाजी और दौड़ की जन्मजात प्रतिभा होती है।
अंकुश गाबा का कहना है कि ग्रामीण इलाके के बच्चों में जन्म से ही भरपूर प्रतिभा होती है। खासतौर से उत्तर-पूर्व के बच्चों में फुटबॉल और पंजाब के ग्रामीण इलाके के बच्चों में कबड्डी की। उनका मानना है कि प्रतिभा को बचपन में ही खोज कर उन्हें तराशा जाना चाहिए।
विपुल सौरभ कहते हैं कि हमारे अभिभावक कभी नहीं कहते कि तीन गोल मारोगे तो मोटरसाइकिल खरीद दूंगा। इनका मानना है कि इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है।
निधि अग्रवाल का मानना है कि स्कूल के पाठ्यक्रम में खेलों को दूसरे विषयों के समान प्रमुखता दी जानी चाहिए। कुछ अन्य सुझावों में खेलों को राजनीतिक हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त करने और पूर्व खिलाड़ियों को अहम भूमिका दिए जाने की वकालत की गई है।