
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पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी और राजद प्रमुख लालू यादव की पार्टी का एक फिर जोर माई समीकरण की ओर है। उम्मीदवारों में 97 उम्मीदवार महागठबंधन के इन्ही दो समुदाय से हैं ।
जहां एक तरफ महागठबंधन को माई समीकरण का सहारा लिया है वहीं, भाजपानीत राजग ने जातीय गणित और केमिस्ट्री दोनों का ध्यान रखा है । ताकि विजय रथ को जातीय समीकरण नहीं रोक सके ।
महागठबंधन ने आज 242 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी । एक सीट पर बाद में प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जाएगी । महागठबंधन की ओर से जारी लिस्ट में माई समीकरण का पूरा ख्याल रखते हुए 242 में 64 सीट यादवों को तो 33 सीट पर मुसलमानों को मौका दिया गया है ।
भाजपा की ओर से जारी 152 सीटों में सबसे ज्यादा 65 सीटें पिछड़े और अति पिछड़े को दी गई है । इसमें 22 यादव भी शामिल हैं । 64 प्रत्याशी सवर्ण हैं और 21 दलित और महादलित हैं । सात सीट पर भाजपा के प्रत्याशी के नाम की घोषणा होनी बाकी है ।
दूसरी ओर महाठबंधन ने वैसे तो हर वर्ग को अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन यादव और मुसलमान पर उसने सबसे ज्यादा भरोसा जताया है । पार्टी का यह परंपरागत वोट बैंक रहा है । महागठबंधन की ओर से 22 कुशवाहा, 16 कुर्मी, 39 सवर्ण, 6 वैश्य, 25 अति पिछड़ा, 11 पासवान, 27 महादलित, 1 गोसेवामी, 2 आदिवासी को अपना प्रत्याशी बनाया है । इसमें 25 महिला भी शामिल हैं ।
इस बार के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा जदयू ने 32 विधायक बदले हैं । राजद ने 6 और कांग्रेस ने 4 सीटिंग विधायक बदले हैं । जीत की उम्मीद में महागठबंधन और राजग में प्रत्याशी को ज्यादा महत्व दिया गया है । पार्टी को नहीं । दोनों गठबंधन ने अपने हिस्से के सीट पर अपने सहयोगी दल के मजबूत कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया है।