श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर में प्रदेश सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर 2009 के आईएएस टॉपर शाह फैजल समेत सरकारीकर्मियों ने मजाकिया लहजे में प्रतिक्रियाएं दी हैं।
फैजल नियमित फेसबुक यूजर हैं और वह मीडिया में आए ज्वलंत मसलों पर अपनी अभिव्यक्ति के लिए चर्चित हैं। फैजल कम से कम एक पोस्ट रोजाना अपने फेसबुक पेज पर अपडेट करते हैं। उन्होंने कुछ ज्यादा ही गुस्ताखी से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘कूट’ भाषा में बोलने का व्रत लिया है।
फैजल ने लिखा कि आज से मैं कूट भाषा में अपडेट करूंगा। सुना है कि फेसबुक का उपयोग करने से सरकारीकर्मियों को ‘तल पाइते शलाख’ अर्थात तलवों पर डंडे पड़ेंगे, जिसपर उनके फॉलोवर्स की ओर से ढेर सारी व्यंग्यात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। उनके इन फोलोवर्स में कुछ सेवारत और कुछ सेवामुक्त लोग भी शामिल हैं।
प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सरकारीकर्मियों के लिए आचरण नियमों में संशोधन करते हुए पर्सनल सोशल मीडिया अकाउंट्स में राजनीतिक विचार अभिव्यक्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
नये नियम में कहा गया है कि कर्मचारी अपने अकाउंट्स का इस्तेमाल उस तरीके से नहीं करेंगे कि उससे समुचित रूप से यह आशय निकले कि सरकार उनके किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत कार्यकलापों का समर्थन करती है या उस पर रोक लगाती है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शाहजादा बिलाल ने फैजल व अन्य कर्मियों को सावधान करते हुए कहा कि अगर वे अपने विवेक और मस्तिष्क अपनी बात रखेंगे तो उनकी नाकें काट ली जाएगी।
बिलाल ने कहा कि कश्मीर में फेसबुक यूजर्स के लिए एक नया पाठ्यक्रम जारी हुआ है जिसमें कुछ कश्मीरी नर्सरी की कविताएं व लोरियां हैं। सरकारी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य हवा बशीर इस बात को लेकर शुक्रगुजार हैं कि यह नियम अवकाश प्राप्त कर्मियों पर लागू नहीं होता है।
जिसपर फैजल ने जवाब में लिखा है कि पेंशनर पर भी यह लागू है। श्रीनगर के एक अस्पताल के कर्मचारी अल्ताफ वानी ने अपने फेसबुक फोलोवर्स को अलविदा कहते हुए लिखा है कि सलाम हुक्मे हाकिम मर्जे मुफाजत। चर्चित कवयित्री नसीम शफईने एक शब्द में अपनी प्रतिक्रिया दी-‘शूबेख’।
फैजल ने अपने जवाब में उनको मजाकिया लहजे में सतर्क किया कि अगले आदेश में कवियों व कवयित्रियों पर प्रतिबंध होगा। इसपर नसीम ने लिखा कि हम भी कोई कम नहीं है। हम संबद्ध वैधानिक नियमों व आदेशों को पढ़ने के बाद ही कवि सम्मेलन करेंगे।