नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय से कहा कि उन्हें 5 हजार करोड़ रुपये सेबी के पास जमा कराने होंगे साथ ही इतनी ही धनराशि की बैंक गरंटी देनी होगी तभी उन्हें जमानत मिल पाएगी।
हालांकि रॉय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि एक वित्तीय संस्था से हाथ पीछे हटाने के चलते यह धनराशि देना मुश्किल होगा।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर, एआर दवे और एके सिकरी की पीठ ने आज अपने आदेश में कहा कि पीठ उनकी ओर से पेश बैंक गांरटी फॉर्मेट को मंजूर करती है।
जमानत मिलने के बाद रॉय को निवेशकों की बकाया राशि 36 हजार करोड़ रुपये 9 किश्तों में 18 महीने के अंदर जमा कराने होगी।
न्यायालय ने जेल में उनकी ऑफिस सुविधा को छह सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। यह सुविधा उनकी संपत्तियों की ब्रिकी के लिए संभावित खरीदारों से समझौता करने के लिए दी गई हैं।
अदालत ने जल्द ही उन्हें निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया है जो समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से साल 2007-8 के दौरान इकट्ठा किए गए थे।
कोर्ट ने सहारा से कहा है कि वह निवेशकों को 36 हजार करोड़ रुपए कुल नौ किस्तों में लौटाए। शुरुआती दो महीनों में यह किस्त 3000 करोड़ रुपये की होगी। सुब्रत रॉय और अन्य आरोपियों को उनके पासपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है।