सिरोही। बडी विकट स्थिति है सिरोही की। सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय विधायक मंत्री भी बन गए और इसी जिले के प्रभारी मंत्री भी बना दिये गए और जिले को बजट में मिला क्या, ये सबको मालूम है।
जिला मुख्यालयों के लिए घोषित योजनाओं के अलावा गोपालन एवं देवस्थान विभाग राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के अपने विधानसभा क्षेत्र को कुछ नहीं दिलवा पाये। इस पर रही सही आशा बजट की तीन सौ करोड रुपये की उस घोषणा ने धो डाली है, जिसमें मिटटी की नमी बरकरार रखने के लिए साबरमती, लूणी, वेस्ट बनास और सूकली बेसिन पर 5 हजार 265 हैक्टेयर भूमि को सिंचित करने के लिए 115 माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं का प्रस्ताव किया गया है। इससे अब निकट भविष्य में बत्तीसा नाला प्रोजेक्ट को भी मंजूरी मिलने की संभावनाएं कम ही लग रही हैं और नर्मदा नहर के लिए सर्वे के लिए तो कोई घोषणा हुई ही नहीं है। इस बजट ने देवासी के मुख्यमंत्री के करीब होने और सिरोही को कुछ लाभ मिलने के दावों की भी पोल खोल दी है। पूरे बजट पर नजर डालें तो सिरोही को छोडकर लगभग हर जिले के लिए विशेष घोषणाएं देखने को मिल रही है।
कौन-कौनसे इलाके इन बेसिन में
लूणी, साबरमती और सूकली बेसिन सिरोही व जालोर जिले में पडता है। इसमें शिवगंज से लेकर आबूरोड और मंडार तक का इलाका आ जाता है। वहीं साबरमती बेसिन उदयपुर में पडता है, सेई बांध इसी बेसिन में बना हुआ है।
क्या होगा इससे
माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट के तहत एनीकट और एमआई टैंक आते हैं। इनकी उंचाई तीन से चार मीटर तक होती है। इसका मुख्य काम भूमिगत जल का स्तर उंचा करके खेती के लिए अप्रत्यक्ष रूप से पानी उपलब्ध करवाना है। अब यह प्रोजेक्ट बनेंगे तो 185 करोड रुपये की बत्तीसा नाला योजना बनने में शंका ही है। तो मंत्री एक तरह से सिरोही के लिए सिर्फ सफेद हाथी ही हैं।
नर्मदा का भी रास्ता सीधा नहीं
नर्मदा के लिए जो सर्वे किये जाने का दावा राज्यमंत्री ओटाराम देवासी कर रहे हैं, वह पाइपलाइन का सर्वे है। इसमें पाइपलाइन के माध्यम से नर्मदा का पानी सिरोही लाये जाने के लिए सर्वे किया जा रहा है न कि नहर के लिये। चुनाव में देवजी पटेल और ओटाराम देवासी नर्मदा नहर से सिरोही के लोगों का लाभांवित करने की बात करते रहे, लेकिन इस बजट में नहर के सर्वे के लिए किसी तरह की राशि की घोषणा नहीं की गई है। पाइपलाइन का भी जो सर्वे करवाया जा रहा है वह स्थायी रूप से सिरोही को नर्मदा का पानी दिये जाने की गारंटी नहीं है। यह जालोर और बाडमेर का सरप्लस है, जो व्यर्थ जा रहा है। भविष्य में जब भी जालोर व बाडमेर की आवश्यकता बढती है तो यह पानी रोका जा सकता है।