नई दिल्ली। कश्मीर दौरे पर गए सर्वदलीय शिष्टमंडल ने बुधवार को केंद्र सरकार से अपील की कि कश्मीर में शांति बहाली कि लिए वह अलगाववादियों सहित राज्य के हर पक्षधर से बातचीत का रास्ता अपनाए।
संसद परिसर में तीन घंटे चली इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कश्मीर की समस्या का हल आम सहमति से होना चाहिए।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल ने गत चार एवं पांच सितंबर को कश्मीर की यात्रा के दौरान सिविल सोसाइटी, राजनीतिक दलों एवं सरकारी अधिकारियों के साथ हुई बातचीत के नतीजों पर चर्चा की।
सर्वदलीय बैठक के बाद सर्वसम्मति से जारी किए गए एक बयान में राज्य के लोगों से हिंसा का रास्ता छोड़ने और बातचीत एवं वार्ता के ज़रिये सभी मुद्दों का हल करने की अपील की।
हुर्रियत कांफ्रेंस सहित अलगाववादियों की तरफ कोई इशारा किए बिना बयान में केंद्र एवं राज्य सरकारों से ‘सभी हितधारकों के साथ बातचीत के लिए कदम उठाने’ को कहा गया है।
जहां कुछ विपक्षी नेता विभिन्न उपकारागारों में बंद हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं से मिले वहीं हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने उनसे मिलने से मना कर दिया।
बैठक में पारित प्रस्ताव में कश्मीर में फैली अशांति पर अफ़सोस जाहिर किया गया तथा यह भी कहा गया कि भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।
बैठक में यह भी कहा गया कि किसी भी सभ्य समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं हैं।
बैठक में शिष्टमंडल के सदस्यों ने कहा कि घाटी में सरकारी कार्यालय, शिक्षण संसथान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान शीघ्र से शीघ्र दोबारा खुलने चाहिए।
सदस्यों ने सरकार से आग्रह किया कि वह सुरक्षाकर्मियों और हिंसा में घायल हुए नागरिकों को इलाज़ मुहैया कराए।
बैठक से निकलने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा सभी दलों ने कश्मीर के हालात पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा सभी पार्टियों ने कश्मीर में शांति की अपील भी की है।
इससे पहले कश्मीर की दो-दिवसीय यात्रा से लौटे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और उनको कश्मीर की स्थिति से अवगत कराया था। इस एक घंटे की बैठक में सिंह ने प्रधानमंत्री को राज्य की ताज़ा स्थिति के बारे में जानकारी दी थी।
बैठक के बाद सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने तत्काल विश्वास बहाली के उपाय शुरू करने का समर्थन किया जिसमें पैलेट गन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने, घायलों को चिकित्सीय मदद उपलब्ध कराने और सुरक्षा बलों के कथित अत्याचारों की जांच कराना शामिल है।
गौरतलब हैं कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिनों कुछ सांसदों से मिलने से इनकार करने पर अलगाववादियों को खरी खरी सुनाई थी।
कुछ सांसदों से मिलने के लिए हुर्रियत नेताओं के बिल्कुल इनकार कर देने से नाखुश सिंह ने कहा था कि उनका बर्ताव लोकतंत्र, इंसानियत एवं कश्मीरियत के विपरीत है।
रविवार को श्रीनगर में हुर्रियत नेताओं ने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। सिंह ने 20 दलों के 26 सांसदों वाले प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की थी।
प्रतिनिधिमंडल दोपहर को जम्मू में रूकने से पहले रात को श्रीनगर में ठहरा था। जम्मू में कुछ घंटे रुकने के बाद वह दिल्ली लौट आया था।