गांधीनगर। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुजरात में जीका के तीन मामलों की पुष्टि कर दी है, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि ‘चिंता की कोई बात नहीं है’, क्योंकि सभी प्रभावी उपाय किए जा रहे हैं। भारत में पहली बार जीका विषाणु से पीड़ित होने का मामला सामने आया है।
डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की है कि अहमदाबाद में संदिग्ध मरीज जीका विषाणु से ही पीड़ित हैं, जिनमें एक गर्भवती महिला भी शामिल है।
गुजरात के मुख्य सचिव जे. एन. सिंह ने रविवार को आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महामारी जैसे हालात नहीं हैं। सामने आए तीनों मामले अपने आप में अकेले हैं। सभी मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार है और अच्छी स्थिति में हैं।”
उन्होंने दावा किया कि जीका के प्रसार का पता लगाने के लिए 1.25 लाख लोगों के रक्त के नमूने लिए गए हैं।
जीका के तीनों मामले अहमदाबाद के औद्योगिक उपनगरीय इलाके बापूनगर में सामने आए हैं। जीका पीड़ितों में एक 64 वर्षीया महिला, हाल ही में मां बनी एक 34 वर्षीया महिला और एक 22 वर्षीया गर्भवती महिला शामिल हैं।
पहला मामला जहां पिछले वर्ष फरवरी में सामने आया था और दूसरा मामला नवंबर में सामने आया। ताजा मामला इसी वर्ष जुलाई में सामने आया। डब्ल्यूएचओ के अनुसार उसके बाद से इस गैर-जानलेवा बीमारी का कोई मामला नहीं देखा गया।
सिंह ने हालांकि उन सवालों का बचाव किया, जिनमें पूछा गया कि गुजरात सरकार ने डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अब तक इसे लेकर अलर्ट क्यों नहीं जारी किया है। उन्होंने कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है और महामारी जैसे हालात नहीं हैं।
डब्ल्यूएचओ ने तीनों मामलों को ‘निम्न स्तरीय संक्रमण’ बताया है, लेकिन साथ ही चेतावनी जारी की है कि भविष्य में इस तरह के और मामले सामने आ सकते हैं।
गुजरात सरकार के हजारों की संख्या में रक्त के नमूने लेने के दावों के विपरीत संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि अहमदाबाद में बीजे चिकित्सा विज्ञान संस्थान के अस्पताल में औचक निरीक्षण के दौरान ये मामले सामने आए।
जीका के विषाणु एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलते हैं, जो डेंगू और चिकुनगुनिया के संक्रमण के लिए भी जिम्मेदार हैं।
जीका ग्रस्त महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के विकृतियों के साथ पैदा होने की आशंका रहती है। ज्ञात हो कि अब तक जीका का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है।