जयपुर। मनसे की धमकी के बाद बॉलीवुड से पाकिस्तान कलाकार जा रहे है। अब राजस्थान की राजधानी में भी पाकिस्तान कलाकार बाहर हो रहे है। तीन दिवसीय साउथ एशियन जयपुर सूफी फेस्टिवल का आगाज गुरुवार से शुरू हो गया। साउथ एशिया का नाम आते ही सबकी नजर थी कि पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर यहां के प्रायोजक क्या निर्णय लेंगे।
हालांकि, उरी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच में जिस तरह से दूरिया बढ़ी है उसका असर साफ तौर पर जयपुर में आयोजित हो रहे सूफी सम्मेलन पर भी पड़ा और पाकिस्तानी कलाकार इस कार्यक्रम से दूर ही रखे गये।
बता दें कि जिस वक्त प्रोग्राम की रूपरेखा बनी थी उस समय 25 पाकिस्तानी साहित्यकारों को भी इस सम्मेलन का बुलाया गया था, लेकिन इस दरमियान हुए उरी हमले के बाद देश में हालात बदल गये और पाकिस्तानी कलाकरों को बुलाने को लेकर भारतीय प्रायोजकों ने कोई रूचि नही दिखायी। नतीजन दक्षिण एशिया के सूफी साहित्य जानने वाले बाकी देश तो इस कार्यक्रम में दिखाई दिये लेकिन पाकिस्तान के कलाकार ओर पाकिस्तान का झण्डा जयपुर में नही लगा।
केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल आयोजित साउथ एशियन जयपुर सूफी फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा की ‘सूफिज्म बढ़ेगा, तो घटेगा आतंकवाद’, । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज आतंक विश्व की सबसे बड़ी समस्या है, इस समस्या पर सुफिज्म के जरिए पार पाया जा सकता है। जब दुनिया में सूफिज्म बढ़ेगा तो आतंकवाद घटेगा।
उन्होनें पाक के साथ वर्तमान हालात पर बात करते हुए कहा कि आज हालात खराब हैं, सार्क सम्मेलन रद्द करने के पीछे भी आज के हालात जिम्मेदार हैं। इधर आतंकवाद पर बात करते हुए सूफी फेस्टिवल में हिस्सा ले रहे अफगानिस्तान के डिप्टी मिनिस्टर अब्दुल गफुर ने कहा कि अफगानिस्तान ने आतंक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। आज की बात करें तो भारत में भी इसका असर देखा जा रहा है।