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no toll tax on DND Flyway, rules allahabad High Court
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हाईकोर्ट का स्टे : नोएडा डीएनडी फ्लाई-वे अब हुआ टोल फ्री

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हाईकोर्ट का स्टे : नोएडा डीएनडी फ्लाई-वे अब हुआ टोल फ्री
no toll tax on DND Flyway, rules allahabad High Court
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इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डीएनडी फ्लाई-वे पर यूजर फी (टोल टैक्स) की वसूली पर रोक लगा दी है। नोएडा टोल ब्रिज कंपनी टोल टैक्स वसूली कर रही है।

कोर्ट ने कहा है कि नोएडा एवं टोल कंपनी के बीच मनमाने करार की न्यायिक समीक्षा करने का अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत कोर्ट को अधिकार है।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रोजेक्ट की लागत वसूल होने के बाद कंपनी द्वारा टोल टैक्स वसूली की अनुमति देना अनुचित है।

करार के तहत लागत की गणना का तरीका एवं करार अनुच्छेद 14 के विपरीत है। कोर्ट ने टोल फीस वसूली बंद करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका को मंजूर कर लिया है।

यह आदेश न्यायाधीश अरूण टंडन तथा न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खण्डपीठ ने फेडरेशन आफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है।

हाईकोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था। मालूम हो कि नोएडा अथारिटी व नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के बीच डीएनडी फ्लाई -वे बनाने का करार हुआ।

बाद में करार में संशोधन कर टोल कंपनी को छूट दी गई और कहा कि पूरी लागत वसूल करने पर कंपनी टोल वसूल सकेगी। यह करार एक अप्रैल 2031 तक टोल वसूली के लिए किया गया।

शुरूआती लागत लगभग साढ़े चार सौ करोड़ आई थी। 31 मार्च 2011 तक यह लागत 2168 करोड़ पहुंच गई। यह करार हुआ कि कंपनी एक अप्रेल 2031 तक टोल वसूली करने के बाद फ्लाई -वे नोएडा को स्थानान्तरित कर देगी।

यह भी शर्त लगाई गई कि यदि नोएडा मनमाने तौर पर बीच में करार रद्द करती है तो वह कंपनी को 2168 करोड़ प्रोजेक्ट लागत का भुगतान करेगी साथ ही यदि कंपनी एक अप्रैल 2031 तक 2168 करोड़ की वसूली नहीं कर पाती तो शेष बची राशि का भुगतान नोएडा प्राधिकरण टोल ब्रिज कंपनी को करेगी।

कोर्ट ने कहा कि कंपनी ने स्वयं ही माना है कि 31 मार्च 2014 तक 810.18 करोड़ की वसूली की है। इस प्रकार 2013-14 तक 300 करोड़ यूजर फी वसूला जाना बाकी है।

कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि कंपनी किस तरीके से लागत की गणना कर रही है और ऐसा करार किस प्रकार किया गया जिसमें वसूली जारी रहने के बाद फ्लाई -वे की लागत राशि बढ़ती जा रही है।

कोर्ट ने कहा कि करार के गुणदोष पर विचार नहीं किया जा रहा है। कोर्ट टोल कंपनी द्वारा आम लोगों से टोल वसूली जारी रखने के औचित्य पर विचार कर रही है।

नोएडा एवं कंपनी के बीच हुए करार के आधार पर कोई कंपनी आम लोगों से टोल की वसूली लागत निकालने के बाद कैसे जारी रख सकती है। कोर्ट ने कंपनी द्वारा वसूले जा रहे यूजर फी को अवैध करार दिया है साथ ही याचिका को पोषणीय माना है।

कोर्ट ने टोल कंपनी को करार में छूट देने को अनुचित एवं गलत करार दिया है। छूट करार अनुच्छेद 14 के विपरीत है। यह कानून के विपरीत है तथा लोक नीति के खिलाफ है। कोर्ट ने टोल वसूली जारी करने को गलत करार दिया है।