ओस्लो। इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वीपन (आईसीएएन) को 2017 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। नॉर्वे की नोबेल कमेटी के अध्यक्ष, बेरिट रीस-एंडर्सन ने कहा कि यह पुरस्कार परमाणु हथियारों के किसी भी तरह के इस्तेमाल से होने वाले विनाशकारी मानवीय परिणामों की और ध्यान आकर्षित करने के संस्था के कार्य और ऐसे हथियारों का एक संधि-आधारित निषेध हासिल करने के लिए इसके अथक प्रयासों” के लिए दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहां परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा इसके पहले की लंबी अवधि से कही अधिक है। कुछ देश अपने परमाणु शस्त्रागारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं, और यह एक वास्तविक खतरा है कि अन्य देश परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि उत्तर कोरिया।
नोबेल समिति ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि परमाणु हथियार मानवता और पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए खतरा हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाध्यकारी समझौतों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पहले बारूदी सुरंगों, क्लस्टर हथियारों, जैविक और रासायनिक हथियारों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया है। परमाणु हथियार और भी अधिक विनाशकारी हैं, लेकिन अभी तक इसके खिलाफ इस तरह का कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून नहीं बनाया गया है।
आईसीएएन विश्व के लगभग 100 विभिन्न देशों के गैर-सरकारी संगठनों का गठबंधन है। गठबंधन दुनियाभर के देशों में प्रचलित होने के कारण सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ मिलकर देशों को परमाणु हथियारों पर रोक और उन्हें खत्म करने के प्रयासों के लिए बाध्य करता है। अभी तक 108 देशों ने इस तरह की एक बचनबद्धता जाहिर की है, जिसे मानवतावादी संकल्प कहा जाता है।