नई दिल्ली। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पिछले पांच सालों में हिंसक झड़पों में करीब तेरह सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में पुलिस तंत्र को और सुदृढ़ बनाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर प्रभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 से वर्ष 2015 के मई महीने के बीच पूर्वोत्तर राज्यों में अलग-अलग आतंकवादी और विद्रोही गुटों ने करीब साढे तीन हजार हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया।
इन घटनाओं में करीब एक सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, 500 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई, वहीं 700 से ज्यादा आतंकवादी और उग्रवादी मारे गए।
आतंकवाद और विद्रोही गुटों की हिंसक घटनाओं को देखते हुए पूर्वोत्तर के राज्यों में पुलिस तंत्र को और मजबूत बनाने की पहल की गई है। पिछले तीन सालों में इसके लिए सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) के तहत करीब 812 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान, चीन जैसे देशों से मिलती हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद काफी सक्रिय हैं और अक्सर हिंसक घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं।