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पाक से संबंध सुधारना गलत नहीं लेकिन मंशा जानना भी ज़रूरी : दत्तात्रेय होसबले - Sabguru News
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पाक से संबंध सुधारना गलत नहीं लेकिन मंशा जानना भी ज़रूरी : दत्तात्रेय होसबले

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पाक से संबंध सुधारना गलत नहीं लेकिन मंशा जानना भी ज़रूरी : दत्तात्रेय होसबले

Dattatreya Hosabaleनई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि पाकिस्तान से संबंध सुधारने के प्रयास करना गलत नहीं है लेकिन यह भी देखना चाहिए कि वहां के दूसरे पक्ष इसके लिए कितने इच्छुक हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने भारत नीति प्रतिष्ठान के त्रैमासिक जर्नल “पाकिस्तान वॉच” का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब से पाकिस्तान का जन्म हुआ तब से लेकर आज तक कोई दिन ऐसा नहीं रहा जब पाकिस्तान की तरफ से भारत के लिए कुछ अच्छा किया गया हो।

उन्होंने कहा कि समस्या पाकिस्तान की भारत विरोधी, हिन्दू विरोधी मानसिकता है, नफरत और द्वेष के आधार पर बना पाकिस्तान एक राष्ट्र विहीन राज्य है। इतने वर्षों में भी वहां राष्ट्र भाव, सांस्कृतिक एकता का भाव विकसित नहीं हो पाया।

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पाकिस्तान के समकक्ष कई देश स्वतंत्र हुए, आज वह देश पाकिस्तान से कहीं आगे हैं। इसके लिए पाकिस्तान खुद जिम्मेदार है, उसने सही दिशा में प्रयास नहीं किए। पाकिस्तान में नीति निर्धारण जनप्रतिनिधियों के स्थान पर मिलिट्री और मौलवियों के हाथों में होने के कारण वहां देश की नीतियां भारत और हिन्दू विरोध के नकारात्मक आधार पर तय होती हैं, उसी चश्में से वहां हर चीज देखी जाती है इस कारण वहां कुछ सार्थक काम नहीं हो पाया।

भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि जब पाकिस्तान बनाने का विचार आया तब भी वह एक एक्सपेरिमेंट था और आज भी वह प्रयोग जारी है। यह भारत का नैतिक जिम्मेदारी है कि हम वहां के घटनाक्रम पर नजर रखें। इसी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भारत नीति प्रतिष्ठान ने ‘पाकिस्तान वाच’ त्रैमासिक जर्नल के जरिए उसके हर अंक में पाकिस्तान से जुड़े ऐतिहासिक डाक्यूमेंट्स को सामने लाने का निश्चय किया है।

जैसे पहले अंक में हमने पाकिस्तान की संविधान सभा के मेम्बर और मंत्री रहे जेएन मंडल ऐतहासिक इस्तीफ़ा छापा है, जो उन्होंने विभाजन के बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं के दमन का विरोध करते हुए दिया था। इसमें काउंटर टेरररिज्म पर हाल ही में आई पाक की पालिसी का भी विश्लेषण है, तहरीक-ए-तालिबान पर लेख के साथ ‘माइनोरिटी इन पाकिस्तान’ पर भी लेख है।

अजय कुमार ने बताया कि हम अपने मित्र तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं, इसलिए पड़ोसी देशों के प्रति संबंधों में ज्यादा सतर्कता आवश्यक है। पाकिस्तान में एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स को बढ़ावा देना वहां के नेताओं की राजनीतिक जरूरत है, हमें इसे ध्यान में रखकर पाकिस्तान के संबंध में नीति बनाकर चलने की आवश्यकता है।

भारत ने पिछले 2 सालों में पश्चिम एशिया और कभी पाकिस्तान के सबसे विश्वस्त देश ईरान से बहुत अच्छे संबंध बना लिए हैं। भारत को दुनिया से सामने पूरी दुनिया के लिए समस्या बन चके पाकिस्तान को अपनी कूटनीति से भी टैकल करना होगा।

विवेक काटजू ने बताया कि 2011 में अमरीका द्वारा ऐबटाबाद में किया हमला पाकिस्तान के लिए स्तब्ध करने वाली घटना थी, इतने सालों तक भ्रम में रहा अमरीका भी अब पाकिस्तान का चरित्र जान गया है। इतने सालों तक अपनी फ़ौज के संरक्षण में रखने के बाद साफ़ मना करना कि उन्हें दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी की कोई जानकारी नहीं थी, यह पाकिस्तान की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

इस कारण अमेरिका ने एफ-16 विमान पाकिस्तान को देने से मना कर दिया है। पाकिस्तान में वहां के नेता भारत शत्रु है और रहेगा इसी धारणा पर अपनी सभी नीतियां बनाते हैं, यह ध्यान में रखकर हम अपनी नीतियां निर्माण करने तो बेहतर होगा। पाक प्रतिनिधिमंडल को भारत में हुर्रियत के नेताओं से मिलने पर रोक लगाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दृष्टि से एक अच्छा फैसला था।

से.नि. मेजर जनरल जी.डी. बक्शी ने अपने सैन्य अंदाज में कहा कि पाकिस्तान सिर्फ फ़ौजी भाषा ही समझता है, सभ्य भाषा नहीं। भारतीय सेना यह सत्य जानती है। आज पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ उत्तेजित करने वाला कदम है, दूसरी ओर अमरीका उससे दूर होता जा रहा है उसे एफ -16 देने से मन कर दिया है, भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

इस समय पाकिस्तान में फ़ौज पूरी तरह हावी हो चुकी है और नवाज शरीफ नैपथ्य में चले गए हैं। इसलिए पाकिस्तान से कोई भी वार्ता करने से सोचने से पहले भारत को पूर्व के अनुभवों को ध्यान करने की जरूरत है। पाकिस्तान से शांति का समय केवल 1971 के बाद का 9 साल कालखंड था जब भारतीय फ़ौज ने पाकिस्तान का मानमर्दन किया था, उसके बाद 9 साल तक वह हिम्मत नहीं भारत के खिलाफ आंख उठाने की हिम्मत नहीं जुटा सका।

भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित होने वाली पाक्षिक पत्रिका “उर्दू प्रेस की समीक्षा और विश्लेषण” के संकलनकर्ता और अनुवादाक वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा को इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य द्वारा सम्मानित किया गया।