नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि नोटबंदी से क्या लाभ है। इसका उद्देश्य क्या है। इस पर सरकार ने कहा कि इससे कालाधन के खिलाफ और टेरर फंडिंग रोकने में मदद मिलेगी।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर फैसला देने में उसे समय लगेगा। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को पांच जजों की बेंच के पास भेज सकती है।
नोटबंदी का सरकार का फैसला संवैधानिक रुप से सही है कि नहीं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने नौ प्रश्न तय किए जिनके तहत कोर्ट इस मसले पर फैसला करेगी। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार लोगों की परेशानियां दूर करने की कोशिश कर रही है। चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच से उन्होंने कहा कि हर संभव कोशिश ये है कि लोगों को कम परेशान होना पड़े।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील एक साथ बोलने लगे। वे चाहते थे कि कोर्ट उन्हें सुने। इससे चीफ जस्टिस दुखी होकर बोले कि ये मछली बाजार हो गया है। उन्होंने वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम का उदाहरण देते हुए कहा कि वे धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज तक उन्होंने ऐसा दृश्य नहीं देखा वह भी नोटबंदी जैसे महत्वपूर्ण मसले पर सुनवाई के दौरान। अपनी दलील में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि रुपयों की निकासी की सीमा खत्म होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच सौ और एक हजार के पुराने नोटों के रुप में रिजर्व बैंक के पास करीब बारह लाख करोड़ रुपए आए लेकिन उन्होंने केवल तीन लाख करोड़ रुपए के नए नोट डाले जिससे गंभीर संकट पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार को पर्याप्त रुप से नए नोटों की छपाई में पांच महीने लग जाएंगे। प्रशांत भूषण ने कहा कि एटीएम रिकैलिब्रेट हो चुके हैं लेकिन नोटों की कमी की वजह से परेशानी हो रही है।
उन्होंने कोऑपरेटिव सोसायटी को हो रही परेशानियों को कम करने के लिए दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया। लेकिन केंद्र ने उनकी मांग खारिज करते हुए कहा कि कोऑपरेटिव सोसायटी को पुराने नोट लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने सवाल किया कि किस गरीब ने धन निकासी की सीमा 24 हजार करने के खिलाफ याचिका दायर की है।