सिरोही। तो भाई लोगों अब सिरोही को कम्पनियां लूटेंगी। कैसे ये भी बताते चलें। इस बार नगर परिषद् चुनावों के लिए भू माफिया, दलालों, जमीनों पर कब्जे करके उन्हें बेचने वालों समेत सिरोही और इसके बाहर के लोगों ने कम्पनियां बनायीं है।…
पहले सिरोही में ऐसी एक ही कम्पनी थी, जिसका सूपड़ा सिरोही के लोगों ने पिछले चुनाव में साफ़ कर दिया था। इस बार ऐसी एक नहीं 3 कंपनियां काम करेंगी। इनका काम नयी व्यवस्था का लाभ अपने हित में करते हुए अपनी कम्पनी के 4-5 बिकाऊ पार्षद नगर परिषद् में भेजकर अपने कामों के लिए सौदेबाजियाँ करवाना होगा। शनिवार को इसी तरह की कम्पनी शब्द का नाम सामने आया जो इस नगर परिषद् चुनाव में अपने प्रत्याशी उतार कर करीब 50 लाख रूपये तक इस चुनाव में खर्च करने का दावा कर रही थी।
पहले एक कम्पनी के प्रत्याशियों को तो पहचान कर सिरोही के मतदाताओं ने निकायों से बाहर कर दिया था, लेकिन अब तीन तीन कम्पनियां अपने प्रत्याशी उतरेंगी तो इन्हें पहचान कर निकाय सेबाहर का रास्ता दिखाना बड़ा कठिन काम होगा। वैसे इन कम्पनियों की सबसे पहली कोशिश अपने प्यादों को राजनीतिक पार्टियों से टिकेट दिलवाने और टिकेट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी उतारने की होगी।
मिटा छोटे बड़े का भेद!
नगर परिषद् चुनाव आये तो बड़े तो बड़े छोटे भी माई बाप बन गए हैं। जिन लोगों को चुनाव लड़ना है उनकी कम्पनियों ने इस बारबार अपने घोड़ों को पहले ही चुनाव मैदान में जीतने की कवायद करने के लिए छोड़ दिया है। जिन्हें पार्टियों से टिकेट मिलने की पूरी सम्भावना है वो अपने सामने खड़े होने वाले संभावित निर्दलीय उम्मीदवारों को मनाने में की कवायद में लगे हुए हैं। ऐसे में उम्र में छोटे प्रत्याशी भी पुराने चावल पर भारी पड़ रहे हैं।