सिरोही। पानी के लिए दूसरा आंदोलन किसानों ने किया, जो सिंचाई के लिए जिला मुख्यालय पर एकत्रित हुए। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में निकले किसानों ने भी भाजपा को विधानसभा व लोकसभा चुनावों में नर्मदा के नाम पर वोट मांगने और बाद में इससे मुकर जाने का विरोध जताया।
इन्होंने माही और जवाई बांध के संबंध में पूर्व हुई संधियों व समझौतों की ओर ध्यानाकर्षित करवाते हुए जिले के किसानों की सिंचाई की समस्या के निराकरण व पानी की व्यवस्था के लिए आदेश पत्र सौंपा।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारतीय किसान संघ के आह्वान पर किसान अपने कुओं और ट्यूबवैलों का पानी लेकर सिरोही पहुंचे। यहां सिरोही के आराध्यदेव सारणेश्वर महादेव का इस जल से अभिषेक किया। इसके बाद रैली के रूप में अलग-अलग दलों में कलक्टरी परिसर में पहुंच और सभा का आयोजन हुआ।
यहां भारतीय किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष हीरालाल चैधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को माही और जवाई का पानी सिरोही के किसानों को दिलवाने के प्रयास करने चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष मणिलाल लबाना ने सिरोही के किसानों की सिंचाई के लिए आवश्यक जल उपलब्ध करवाने के प्रयास करने की आवश्यकता जताई।
इस दौरान वक्ताओं ने भाजपा की ओर से विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सिरोही जिले में नर्मदा का पानी लाने के वादे से मुकरने को लेकर भी सवालिया निशान लगाया। उन्होंने कहा कि इस वादे को लेकर भाजपा के प्रत्याशी गांव-गांव घूमे और इसके चलते ही किसानों ने अभूतपूर्व जन समर्थन देते हुए उन्हें जिताया। इसके बावजूद जनप्रतिनिधि इसका ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस दौरान किसानों ने शहर के मुख्य मार्गों पर फावडा रैली भी निकाली। शाम को जिला कलक्टर को पानी की पुख्ता व्यवस्था करने के लिए आदेश पत्र सौंपा।
माही के लिए ये बोले
इस दौरान आयोजित सभा में किसान नेताओं ने बताया कि माही डेम बांसवाडा का पानी राजस्थान के सिरोही व जालोर जिले को देने का प्रावधान बांध बनते समय 1966 में हो गया था। जिसमें राजस्थान सरकार व गुजरात सरकार की सहमति थी।
इन जिलों की 6 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि को सिचिंत करने की योजना बनी थी, लेकिन उस योजना पर आज तक कार्य नहीं हुआ उसके बाद 1983 में हाईकोर्ट में पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में खोसला कमेटी का गठन हुआ फिर सन 1987-88 में नर्मदा टर्मिनल का गठन हुआ।
जिसमें यह निर्णय हुआ था कि गुजरात के खेड़ा जिले में कडाना बांध में निर्मदा का पानी आ जायेगा तो यह 40 एम.सी.एफ पानी के माही डेम का राजस्थान उपयोग कर सकेगा और पूर्व का 9 एमसीएफटी का कोटा कुल मिलाकर 49 एमसीएफटी पानी राज्य को आज तक नहीं मिला।
जिससे इस जिले के किसानों को खेती करना मुश्किल हो गया है। किसान बेरोजगार हो रहे हैं और शहरों की और पलायन कर रहे हैं। जिससे गांव व खेत विरान हो रहे हंै।
यह पानी लाने हेतू वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव राजस्थान व वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था मुख्यमंत्री ने परिवर्तन यात्रा में गांव-गांव जाकर माही का पानी सिरोही-जालोर को देने का वादा किया, अब तक पूरा नहीं हुआ है।
नर्मदा के लिए भी फूटा आक्रोश
सिरोही जिला अरावली पर्वतमाला आबूपर्वत के आस-पास बसा हुआ है जिससे बरसाती पानी जिले का बरसकर गुजरात जाता है उस पानी को जिले में रोककर सिरोही के खेतो में सिचाई को दिया जाए।
गुजरात में सुजलाम सुफलाम योजना के अन्तर्गत दांतीवाड़ा डेम व सीपू डेम में नर्मदा का पानी आ गया है। इसलिए अब सिरोही जिले के हक का पानी हमें मिले और इसकी योजना बने। जवाई बांध पुनर्भरण योजना लागू कर जवाई बांध को भरकर जवाई बांध का पानी शिवगंज तहसील के किसानों को दिए जाए।
जवाई बांध बनाते समय जवाई परियोजना में एक नहर सिरोही जिले के शिवगंज क्षैत्र हेतु बनाने का प्रावधान था, लेकिन आज तक यह कार्य अधूरा है। इसलिए यह कार्य पूरा कर शिवगंज क्षैत्र को पानी देने की योजना पर कार्य शुरू करें।
जवाई बांध का पानी 25 प्रतिशत जवाई नदी में हर साल छोड़ा जाय ताकि सूखी पड़ी नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के किसानो को इसका फायदा मिले व भूजल स्तर ऊंचा उठे जिससे खेती की किसान अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें और जिले को डार्क जोन से मुक्ति मिले।