मुंबई। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ अभिनेता ओमपुरी का शुक्रवार की सुबह 66 वर्ष की उम्र में उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। उनके निधन से बॉलीवुड दुनिया में मातम का माहौल व्याप्त है।
ओमपुरी के निधन पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि व्यक्त की है, वहीं बॉलीवुड कलाकारों ने भी श्रद्धांजलि व्यक्त की है।
गौरतलब है कि घासीराम कोतवाल नामक फिल्म से सिनेमा जगत में पर्दापण करने वाले ओमपुरी ने अभिनय की दुनिया में अलौकिक छाप छोड़ी है। ओमपुरी का भारतीय सिनेमा जगत में अपना अलग स्थान था।
ओमपुरी की फिल्म आक्रोश सिनेमा जगत में सर्वोत्कृष्ट रही है। आस्था, हेराफेरी, अर्धसत्य, चक्रव्यूह, चाइनागेट, घायल जैसी फिल्मों ने इतिहास रचने का काम किया है। फिल्म में कोई भी भूमिका हो, कहने का तात्पर्य यह है कि विलेन की भूमिका हो या हीरो की अथवा कॉमेडियन की, सभी भूमिकाओं में उन्होंने अपने किरदार को अनूठे तरीके से निभाया है।
उनके किरदार को कभी भी फिल्म जगत भुला नहीं सकता है। ओमपुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में हरियाणा में हुआ था। उनका प्राथमिक शिक्षण पंजाब के पटियाला शहर में स्थित उनके ननिहाल में हुआ था।
1976 में पुणे के एफटीआई से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद स्वयं के थिएटर ग्रुप मजमा की स्थापना ओमपुरी ने की थी। ‘अर्धसत्य’, ‘जाने भी दो यारों’, ‘मेरे बाप पहले आप’, ‘दिल्ली 6’, ‘मालामाल वीकली’, ‘डॉन’, ‘रंग दे बसंती’, ‘दीवाने हुए पागल’, ‘क्यूँ ! हो गया ना’, ‘काश आप हमारे होते’ और ‘प्यार दीवाना होता है’ जैसी हिट फिल्मों में उन्होंने दमदार भूमिका निभाई है। सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।
कला फिल्मों से शुरू हुआ उनका सफर आसान नहीं था। इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे। ओम पुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी था। बचपन में ही घर की स्थिति ठीक न होने के कारण वह कोयला बीनते थे और एक ढाबे में भी काम करते थे।
वर्ष 1973 में ओम पूरी का दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के एल्युमनी की लिस्ट में नाम आया। जहां अभिनेता नसीरूदीन शाह उनके सहपाठी थे। वर्ष 1976 में एक मराठी फिल्म में घासीराम कोतवाल से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया।
ओमपुरी का नाम आज फिल्मी जगत में एक ऐसे अभिनेता के रूप में लिया जाता है जो अपनी फिल्मों के किरदार को लेकर हमेशा सराहनीय रहे। उन्होंने विलेन से लेकर कॉमेडी सभी तरह के किरदारों में अपनी छाप छोड़ी।
ओमपुरी का हर किरदार अपने आप में सराहनीय था। फिर चाहे वो खलनायक का हो या मेन लीड का। ओमपुरी को फिल्म ‘आरोहण’ और ‘अर्ध सत्य’ के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड भी मिला था।
उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। वैसे तो उन्होंने अपने जीवनकाल की सभी फिल्मों में अपने किरदार को बखूबी निभाया। उनकी कई फिल्मों को मीडिया फिल्म फेस्ट के लिए भी चुना गया, जहां उनकी फिल्मों को दिखाया जाता है।