जयपुर। राजस्थान में जनप्रतिनिधियों और लोकसेवकों के खिलाफ शिकायत से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेने संबंधी राजस्थान दंड विधियां संशोधन विधेयक पर सरकार बैकफुट पर आ गई है।
सरकार ने सोमवार को विधेयक को विधानसभा में रखा था, लेकिन मंगलवार को इसे प्रवर समिति को भेज दिया। माना जा रहा है कि सरकार इस विधेयक को अब ठंडे बस्ते में डालना चाहती है।
मंगलवार की सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा शुरू कर दिया। विधेयक को कालू कानून बताते हुए विपक्ष ने वेल में जाकर जमकर नारेबाजी की। प्रश्नकाल के दौरान ही गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल से अनुमति मांगी।
अनुमति मिलने के बाद गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने दण्ड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2017 को प्रवर समिति को निर्दिष्ट करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले गृहमंत्री ने सदन को बताया कि अध्यादेश के लिए 4 सितम्बर को राष्ट्रपति से अनुमति प्राप्त हो गई थी। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विधेयक में सबके सुझावों को शामिल करेंगे। जो कमियां रह गई हैं, उन्हें दूर करेंगे। डेढ़ महीने पहले अध्यादेश सबको मिल गया था, लेकिन किसी ने नहीं पढ़ा। अब केवल सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए शोर मचा रहे हैं।
इस दौरान भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी और गृहमंत्री के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। विपक्ष के हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगति करना पड़ी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार के इस विवादित बिल को लेकर देशभर में सरकार की किरकिरी हुई है। इस विधेयक का तमाम विपक्षी दलों के साथ ही अधिवकता, पत्रकार और गैर सरकारी संगठन विरोध कर रहे थे। तीखे विरोध को देखते हुए सोमवार देर रात मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने आवास पर प्रमुख मंत्रियों और कुछ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी।
बैठक में इस बिल के विरोध से निपटने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। विधेयक पर पुनर्विचार करने को लेकर मंत्रियों ने कहा कि कुछ समय बाद अजमेर और अलवर में उपचुनाव है और अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में इस बिल को लेकर विवाद सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है।
उन्होंने इस विवाद को दूर करने के लिए ये बिल प्रवर समिति को सौंपने का सुझाव दिया था। इस बैठक में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़, पीडब्लूडी मंत्री यूनुस खान और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी शामिल हुए थे।
इससे पहले विधायक दल की बैठक में भी पार्टी के कुछ विधायकों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई थी। विपक्ष ने भी इस विधेयक को लेकर तीखा विरोध किया था। इसे मीडिया की आजादी छीनने और भ्रष्ट अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को संरक्षण देने वाला बताते हुए सरकार पर तीखे हमले किए थे।
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