सबगुरु न्यूज-सिरोही। चाय के प्याले में तूफान की परिभाषा को समझना है तो जिले के समाचार पत्र में प्रकाशित एक विज्ञापन पर नजर जरूर डालनी चाहिए। इसने एक राजनीतिक पार्टी में हलचल पैदा कर दी है। वहीं विपक्ष को इन पर हमले का लिखित प्रमाण दे दिया है।
इस विज्ञापन में प्रकाशित सभी नेताओं को जनता के सामने यह बताना आवश्यक हो गया है कि इनका जिले में हो रही शराब तस्करी के धंधे से किस तरह से संबंध है। इतना ही नहीं इस विज्ञापन में जिस नेता की तस्वीर जितनी बडी है उसकी जवाबदेही उतनी ही बडी हो जाती है।
उन्हें यह भी बताना जरूरी है कि पांच साल पहले जिले की एक सडक के निरीक्षण के दौरान सामने आई अनियमितता का क्या हुआ। उस अनियमितता पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। उस निरीक्षण की अनियमितता में कार्रवाई नहीं होने का इस विज्ञापन से तो कोई संबंध नहीं है। ईमानदारी का आइना दिखाकर तस्करी और भ्रष्टाचार के पैसे का इस्तेमाल करने वाले इन नेताओं का चेहरा अब जनता के सामने बेकाब होना भी जरूरी है।
-सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चित
इस विज्ञापन को एक राजनीतिक होशियारी के रूप में प्रस्तुत तो किया, लेकिन इसे प्रकाशित करवाकर राजनीतिक कद बढाने की आशा रखे नेता इसमें ट्रेप हो गए। सोशल मीडिया में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि आदमकद नेता का शराब की तस्करी तथा सडकों की अनियमितता के मामलों में किस तरह से रिश्ता है।
इतना ही नहीं इस राजनीतिक पार्टी के हर नेता को अब जनता को यह जवाब तो देना ही होगा कि आखिर शराब तस्करी के मामले में कथित रूप से लिप्त और जिले की सडकों में अनियमितताओं के प्रथम दृष्टया संलिप्त लोगों से यह किस तरह का फायदा लेकर उन्हें फायदा पहुंचा रहे हैं।
-विपक्ष के लिए ब्रह्मास्त्र
यह विज्ञापन विपक्ष के लिए एक तरह से ब्रह्मास्त्र है। इसमें प्रकाशित हर नाम और तस्वीर को उसे जनता के बीच ले जाकर इनके कथित शराब तस्करी में शामिल लोगों और जनता के धन को लूटने वाले लोगों के साथ संबंधों का खुलासा करना चाहिए।
विपक्ष को इन नेताओं से पूछना चाहिए कि जनता के धन को लूटने वालों से वह किस तरह से आर्थिक लाभ ले रहे हैं। ऐसा नहीं करना विपक्ष की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा सकती है। वैसे विपक्षी पार्टी के नेता सार्वजनिक रूप से इस तरह के संबंधों को आरोप लगा चुके हैं, अब इन संबंधों को प्रमाण सामने आया है, देखना है कि वह इन संबंधों को किस तरह से बेनकाब करते हैं।
-पार्टी में भी गुटबाजी सामने
इस विज्ञापन में जिले में राजनीतिक गुटबाजी को भी सामने ला दिया है। श्रेय लेने की होड में इन नेताओं ने अपना कद पार्टी से भी उंचा करने की जो कोशिश की है, वह सफल हुई है या नहीं यह तो 2018 और 2019 में जनता निर्धारित करेगी। लेकिन इस विज्ञापन में पार्टी में यह तो चर्चा छेड दी है कि कुछ नेता अन्य नेताओं को राजनीतिक कद छोटा करने में लगे हैं। जो कवायद अब तक सोशल मीडिया तक सीमित थी वह अब सार्वजनिक हो गई है।