नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से हो रहे टेक्नोलॉजी विकास की वजह से अगले पांच वर्षों में कृत्रिम इंसान यानी रोबोट एक करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां खत्म होने का सबब बन सकते हैं।
एसोसियेटेड चैंबर्स ऑफ कामर्स (एसोचैम) की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर जिस तरह की औद्योगिक क्रांति हो रही है, उससे स्वचालन, रोबोटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग, कृत्रिम बुद्धि, जीनोमिक्स के रूप में नुकसानदेह टेक्नोलॉजी भी सामने आ रही हैं।
इनकी वजह से बड़ी संख्या में लोग अपनी नौकरी गंवा रहे हैं। देश में ही अगले पांच साल के दौरान करीब दस लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। एसोचैम ने सरकार, उद्योग क्षेत्र और प्रबुद्ध वर्ग के बीच एक साझीदारी विकसित करने की फौरी जरूरत पर बल दिया है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बुधवार को यहां बताया कि ‘प्रस्तावित साझीदारी के जरिये हमें विशिष्ट क्षमताओं और समयानुकूल शिक्षा की उभरती हुई जरूरतों को पहचानने में मदद मिलेगी। खासकर विकसित देशों से कोर्स तैयार करने और उन्हें संचालित करने में सहायता की जरूरत होगी।’ रावत ने कहा कि ‘केंद्र सरकार को स्वचालन को लेकर एक राष्ट्रीय नीति का स्वरूप तैयार करना चाहिए।
इसमें देश के विशेषज्ञों, व्यवसाय जगत, सरकार और श्रमिक वर्ग के प्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जाना चाहिए। इससे हम इस परिवर्तनकाल को कम से कम तकलीफदेह बनाने के लिए कार्ययोजना और दिशानिर्देश तय कर सकेंगे। साथ ही संबंधित पक्षों को सभी लाभ व्यापक और समान रूप से साझा किए जाने का आश्वासन भी दे सकेंगे।
उन्होंने कहा ‘इससे हमारा देश कम से कम उद्योग, निर्माण, परिवहन और वितरण के क्षेत्र में स्वचालन रूपी रोबोटिक्स की अनिवार्यता के लिए आगे बढ़ेगा।’ अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि ‘केंद्र सरकार को अपनी ध्वजवाही योजना यानी मेक इन इंडिया के लिए रोबोटिक्स को प्रमुख तत्व के रूप में जोड़ना चाहिए और उसे वैश्विक निर्माणकर्ताओं को देश में काफी कुशल और स्वचालित आपूर्ति श्रृंखला सुविधाएं स्थापित करने के मकसद से आकर्षित करने के लिए कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।’
भारतीय उद्योग क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पद्धी तथा उद्यमियों के लिये देश को आकर्षक बनाने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आर्थिक विकास को गति देने के उद्देष्य से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी एक मानी हुई जरूरत है।