नई दिल्ली। भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान जब खुद चलकर राजनीति के पितामह अटल बिहारी वाजपेयी के घर आएगा तो शायद उन्हें इस बात का अहसास भी नहीं होगा कि देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी रायसिना हिल की अट्टालिकाओं से उतरकर उनके लिए भारत रत्न लाए हैं।
बीते क्रिसमस पर अपने जीवन के 90 साल पूरे कर चुके वाजपेयी पिछले कई महीनों से शैय्या पर सिमटे हुए हैं और उनकी निगाहें हमेशा दूर शून्य में टकटकी लगाए रहती हैं। वो वाणी खामोश हो चुकी है जो लाखों ‘अटल प्रेमियोंÓ को दीवाना बना देती थी और वे हाथ बिस्तर पर निस्तेज पड़ेे होते हैं जो उनके भाषण के समय बहुत कुछ कहा करते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री के निकट रहे एक सहयोगी ने नाम न उजागर करने का आग्रह करते हुए कहा कि अटल जी की निगाहों को पढ़ पाना अब मुश्किल हो गया है। उन आंखों से हावभाव लगभग समाप्त से हो चले हैं। पंडित मदनमोहन मालवीय के साथ भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के एक दिन बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मिलने आए थे तो अर्से बाद उनकी आंखों में वह फीकी सी चमक दिखाई दी थी जो कभी किसी प्रिय पात्र को देखकर बेहद मुखर अंदाज प्रकट हुआ करती थी।
वाजपेयी ऐसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिन्हें जीवित रहते हुए भारत रत्न से विभूषित किया जा रहा है। इससे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत अलंकृत किया जा चुका है। लेकिन विडम्बना यह है कि वाजपेयी के लिए भी यह सम्मान ऐसे समय आया है जब उन्होंने किसी भी प्रकार के सम्मान को पहचाने की क्षमता का लगभग अलविदा कह दिया है।
सहयोगी ने बताया कि वाजपेयी के कक्ष को किसी भी संभावित विषाणुओं से मुक्त रखने के लिए सख्त नियम लागू हैं और उनके निकट सिर्फ नर्सिंग स्टाफ को जाने की अनुमति है। नर्सिंग स्टाफ उन्हें करवट बदलवाता रहता है, नियिमत रूप से उनकी स्पांङ्क्षजग की जाती है और अस्पतालनुमा बिस्तर को ऊपर उठाकर या नीचे करके अटलजी के आराम का ख्याल रखा जाता है।
कृष्ण मेनन मार्ग के जिस बंगले में भारतीय राजनीति यह अटल वृक्ष अपने शतायु होने की ओर अग्रसर है, उसके पास ही एक पुराना बरगद भी है जो पूर्व प्रधानमंत्री की तरह ही विशाल छांव अपना दामन के नीचे फैलाए रखता है। अर्सा हो गया, वाजपेयी को कोई भी फोटो सार्वजनिक नहीं किया गया।
इसका कारण स्पष्ट करते हुए सहयोगी ने बताया कि वीवीआईपी तक को वहां आने की इजाजत नहीं है, फोटोग्राफर या मीडिया के प्रवेश की तो बात बहुत दूर की है। लेकिन फोटो जारी नहीं किए जाने का बडा कारण यह भी है कि अटलजी बेहद कमजोर हो चले हैं, इतने कमजोर कि उन्हें पहचाना तक नहीं जा सकता।
मोदी जब उनसे मिलने आए थे तो उन्होंने ट््िवटर पर अटलजी के साथ अपना एक चित्र भी जारी किया था लेकिन वह भी उस समय का फाइल फोटो था जिसमें वह मोहक मुस्कान के साथ मौजूद थे। सहयोगी ने कहा कि आज के समय का अटलजी का चित्र उस छवि को भंग कर सकता है जो लोगों के दिलो दिमाग में समायी हुई है।