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मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ में एक ओर बाघ की मौत - Sabguru News
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मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ में एक ओर बाघ की मौत

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मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ में एक ओर बाघ की मौत
one more tigress dies at Bandhavgarh in Madhya Pradesh
one more tigress dies at Bandhavgarh in Madhya Pradesh
one more tigress dies at Bandhavgarh in Madhya Pradesh

उमरिया। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बीटीआर के मशहूर नीली आंखों वाले बाघ की कथित तौर पर बंदूक द्वारा बेहोशी की दवा अधिक मात्रा देने से मौत हो गई।

एक दिन पहले ही इस बाघ ने वन विभाग के दो कर्मियों को पार्क के निकट हमला कर घायल कर दिया था। पार्क के पास रहने वाले लोगों ने बताया कि शनिवार को गांव के पास बाघ के आ जाने से ग्रामिणों में काफी दहशत फैल गई थी।

वन विभाग के दो कर्मी बाघ को इलाके से खदेडऩे के लिए आए लेकिन बाघ ने उन पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके बाद बाघ को वापस बीटीआर में भेजने के लिए उसे बेहोशी की दवा देने के लिए गोली दागी गई थी।

बीटीआर के क्षेत्रीय संचालक के रमन श्रीवास्तव से संपर्क नहीं हो सका। प्रदेश के अतिरिक्त प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव शहबाज अहमद ने नीली आंखों वाले बाघ की मौत की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार बाघ की मौत अन्य बाघ के साथ इलाके की लड़ाई के कारण हुई।

उन्होंने बताया कि फिलहाल मैं पन्ना टाइगर रिवर्ज में हूं तथा तुरंत ही इस मामले को देखता हूं। मध्यप्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक नरेन्द्र कुमार ने कहा कि वह भोपाल से बाहर है तथा इस मामले की जानकारी उन्हें नहीं है।

बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन ‘प्रयत्न’ के अजय दुबे ने नीली आंखों वाले बाघ की मौत का कारण बीटीआर के क्षेत्रीय संचालक के रमन श्रीवास्तव की लापरवाही बताते हुए आरोप लगाया कि उनके द्वारा अधिक मात्रा में बेहोशी की दवा दागने से बाघ की मौत हुई।

उन्होंने बताया कि मैंने इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए को शिकायत की है तथा इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

दुबे ने कहा कि पिछले 13 माह में प्रदेश में 18 बाघों की मौत हो चुकी है जो कि काफी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक बाघों की संख्या के कारण कभी ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा राने वाला मध्यप्रदेश का यह वन्यजीव संरक्षण बाघों की संख्या के मामले में अब देश में तीसरे स्थान पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में आठ साल बाद भी अब तक ‘स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स’  का गठन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि बाघ के शिकार के अपराध में दोषसिद्धि की दर मध्यप्रदेश में 10 प्रतिशत से भी कम है तथा प्रदेश में बाघ के शिकार के मामलों में गुप्तचर सूचनाओं की संया शून्य है।

उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि हाल के वर्षों में बाघ के शिकार के मामले में प्रदेश में कोई निरोधक गिरफ्तारियां की गई हों। हालांकि वन विााग के अधिकारियों ने दुबे के आरोपों को खंडन किया।