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नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में विपक्षी एकता प्रदर्शित करने के लिए 13 विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं ने संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक पद यात्रा की और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। संसद परिसर में स्थापित गांधी प्रतिमा से इस पदयात्रा की अगुवाई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और जनतादल यू के अध्यक्ष शरद यादव ने की।
उनके साथ इस पदयात्रा में राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल,राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, दिग्विजय सिंह, वीरप्पा मोइली, जयराम रमेश, आनंद शर्मा,कमल नाथ,अंबिका सोनी, कुमारी शैलजा, शशि थरूर, राजीव शुक्ला, मोती लाल बोरा, एके एंटनी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मधुसूदन मिस्त्री, रेणुका चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और जया बच्चन, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, राकंपा के तारिक अनवर, द्रमुक की कनी मोझी, राजद के प्रेम चंद गुप्ता के कुछ अन्य दलों के नेता भी इस पदयात्रा में शामिल हुए।
पदयात्रा में शामिल नेतागण भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में नारे लगाए और कुछ ने तख्तियां भी ले रखी थी। इन पर ”देश का किसान अन्नदाता, जमीन हमारी माता” लिखा हुआ था।
इसके पूर्व कांग्रेस की ब्रीफिंग में रीता बहुगुणा ने इस पद यात्रा पर दिल्ली पुलिस द्वारा पूर्व में पाबंदी लगाए जाने की निंदा करते हुए इसे पुलिस राज की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा था कि यह पदयात्रा हरहालत में निकाली जाएगी। बहुगुणा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र में गुजरात माडल लागू कर अपने विरोधियों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं जो किसी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।