नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की इस बात के लिए निंदा की कि सरकार का कोई भी प्रतिनिधि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुआ।
सत्ताधारी भाजपा इस बात का स्पष्टीकरण नहीं दे पाई है कि शुक्रवार शाम हुई इस पार्टी में राजग का कोई मंत्री शामिल क्यों नहीं हुआ। जबकि मुखर्जी अगले महीने पदमुक्त हो रहे हैं। भाजपा ने बस इतना कहा है कि इसे राष्ट्रपति के अनादर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पिछले तीन वर्षो के दौरान राजग सरकार ने जो राजनीति की है, वह बिल्कुल अलग तरह की है। राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार में शामिल न होना उसी तरह की राजनीति को जाहिर करता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने ट्विटर पर सवाल किया कि क्या यही है सबका साथ सबका विकास की नीति? खुर्शीद ने पूछा कि भाजपा के नेता राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार दावत से दूर रहे। यदि सबका इफ्तार अस्वीकार्य है तो सबका विकास क्या? कैसा नया भारत?
जनता दल (युनाइटेड) के अली अनवर ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रपति मुखर्जी की उपेक्षा इसलिए कर रही है, क्योंकि वह अब सेवामुक्त होने वाले हैं।
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार से सभी मंत्रियों का गायब होना उनकी राजनीति को परिभाषित करता है।
भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। हालांकि भाजपा नेता शहनवाज हुसैन ने कहा कि मंत्री पहले से व्यस्त थे और इसलिए राष्ट्रपति के इफ्तार दावत में हिस्सा नहीं ले पाए।
हुसैन ने कहा कि इसे राष्ट्रपति के प्रति अनादर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। मंत्री पहले से व्यस्त थे और इसलिए दावत में हिस्सा नहीं ले पाए।
समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस ने शनिवार को मुखपृष्ठ पर यह खबर प्रकाशित की, जिसमें माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के हवाले से कहा गया है कि वहां न तो एक मंत्री, न तो कोई सरकारी प्रतिनिधि और न तो भाजपा का कोई नेता मौजूद था।
इन वर्षो के दौरान मैंने ऐसा कभी नहीं देखा कि राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार में भारत सरकार का कोई प्रतिनिधि न पहुंचा हो। शायद यही है उनका न्यू इंडिया।