नई दिल्ली। कश्मीर में मानव ढाल का इस्तेमाल किए जाने के बचाव को लेकर सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान की विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की, वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सांसद के जनरल की ‘क्षमता’ पर संदेह से संबंधित बयान की भी निंदा हुई।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने हालांकि रावत का बचाव किया और कहा कि वह उनके बयान से पूर्ण सहमत हैं और सेना कोई भी संभावित कार्रवाई कर सकती है, क्योंकि यह हालात की मांग है।
विपक्षी पार्टियों ने सेना प्रमुख के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके जवान ‘गंदे युद्ध’ से मुकाबला कर रहे हैं, जिससे निपटने के लिए नए तरीकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें आंतरिक मामलों पर राजनीतिक बयान देने से बचना चाहिए।
पत्थरबाजों से निपटने के लिए कश्मीरी युवक को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए मेजर लितुल गोगोई का बचाव करते हुए रावत ने कहा कि भारत कश्मीर में एक ‘गंदे छद्म युद्ध’ से मुकाबला कर रहा है, जिसे ‘गंदे तरीके’ से निपटा जा सकता है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी.राजा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना प्रमुख राजनीतिक विवाद का विषय बन गए हैं।
राजा ने कहा कि सेना प्रमुख कश्मीर मुद्दे के बारे में क्यों बात कर रहे हैं। यह कानून-व्यवस्था या सुरक्षा का मुद्दा नहीं है। यह वह मुद्दा नहीं है, जिसका समाधान सेना कर सकती है।
उन्होंने कहा कि दूसरे दिन राजनाथ सिंह ने स्वीकार किया था कि कश्मीर हमारा है, कश्मीरी भी हमारे हैं। कश्मीर मुद्दे का समाधान राजनीतिक नेतृत्व को करना है।
रावत की टिप्पणी पर माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह भारतीय सेना के बोल नहीं है, जिसे वह बचपन से सुनते आ रहे हैं। ये वह बोल नहीं हैं, जिसका बचाव हम भारतीय के रूप में करें।
लेकिन सलीम तब निशाने पर आ गए जब उन्होंने कहा कि अगर भारतीय सेना प्रमुख मानव ढाल के इस्तेमाल को इनोवेटिव करार देते हैं, तो उनकी क्षमता तथा भारतीय समाज की समझ और नए तरीके की उनकी परिभाषा पर सवाल उठता है।