न्यूयॉर्क। शोधकर्ताओं ने प्रकाश ग्रहण करने वाले सौर पैनल और ऊर्जा को संजोने वाली एक सस्ती बैटरी को एकीकृत कर एक संकर (हाइब्रिड) उपकरण बनाकर दुनिया की पहली सौर बैटरी बनाने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह उपकरण अक्षय ऊर्जा की लागत को 25 फीसदी तक कम करने में मदद करेगा।…
इसमें लगा जालीदार सौर पैनल हवा को बैटरी में प्रवेश कराता है और सौर पैनल एवं बैटरी इलेक्ट्रोड के बीच इलेक्ट्रानों के स्थानांतरण के लिए विशेष प्रक्रिया करता है। उपकरण के अंदर, विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं से प्राप्त प्रकाश और ऊर्जा से बैटरी चार्ज होती है।
अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान और जैवरसायन विज्ञान के प्रोफेसर यियिंग वु ने बताया कि सौर पैनल का प्रयोग प्रकाश ग्रहण करने और एक सस्ती बैटरी को ऊर्जा ग्रहण करने के लिए प्रयोग किया गया। उन्होंने आगे बताया कि उसके बाद हमने दोनों को एक उपकरण में एकीकृत कर दिया। लागत कम करने के लिए आप किसी भी समय यह कर सकते हैं।
इस आविष्कार ने बिजली के नुकासान को खत्म करके सौर ऊर्जा कार्यक्षमता में लंबे समय से आ रही समस्या का भी समाधान किया है। सामान्य तौर पर ऊर्जा कार्यक्षमता तब पूरी होती है जब इलेक्ट्रॉन, सौर सेल और बाह्य बैटरी के बीच यात्रा करते हैं। आमतौर पर सौर सेल से बनने वाले इलेक्ट्रॉनों में से मात्र 80 फीसदी इलेक्ट्रॉन बैटरी में आते हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस नए डिजाइन के साथ बिजली, बैटरी के अंदर ही इलेक्ट्रॉन में बदल जाती है, जिससे लगभग 100 फीसदी इलेक्ट्रॉन सुरक्षित रहते हैं। यह शोध “नेचर कम्युनिकेशन” जर्नल में प्रकाशित हुआ है।