सबगुरु न्यूज-सिरोही। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे खास कहे जाने वाले मंत्री ओटाराम देवासी पर पुलिस विभाग में स्थानांतरण का उद्योग चलाने का गंभीर आरोप लगा है। जीवाराम आर्य ने गोपालन एवं देवस्थान राज्य मंत्री व सिरोही के प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी के सिरोही जिले के एएसआई और कांस्टेबलों के स्थानांतरण करने की सिफारिश के पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद देवासी पर स्थानंतरण के लिए चौथ वसूली का आरोप लगाया है।
उल्लेखनीय है कि जिन पुलिसकर्मियों की सिफारिश देवासी ने अपने पत्र में की है उनमें से कई पुलिसकर्मी तो जन उत्पीडन के आरोप भी झेल चुके हैं। सबसे खास बात यह है कि इस सूचि में खुद प्रभारी मंत्री की जाति के चार कांस्टेबल भी शामिल हैं। इस पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद जिले में राजनीतिक भूचाल सा आ गया है, देवासी को भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनावों में खुदको सबसे ईमानदार उम्मीदवार के रूप में प्रदर्शित किया था।
चुनावों के दौरान कांग्रेस के भ्रष्टाचार को निशाना बनाते हुए भाजपाइयों ने यह नारा भी दिया था कि हमारे प्रत्याशी की तो जेब ही नहीं है ऐसे में उनकी ईमानदारी पर कोई अंगुली नहीं उठ सकती। अब पुलिस विभाग जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण विभाग के आला अधिकारी को इस तरह का पत्र लिखना देवासी और मुख्यमंत्री को कठघरे में खडा कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट में देवासी पर दो साल पहले सर्किट हाउस में एक शराब डंपिंग के आरोपी के खिलाफ मामले को कथित रूप से हल्का करने के लिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डाॅ राजीव पचार पर दबाव बनाने का आरेाप भी लग चुका है।
राजे की छवि पर सीधा प्रभाव
जिले और राज्य में ओटाराम देवासी मुख्यमंत्री के सबसे करीबी होने की राजनीतिक हवा भी है और सार्वजनिक मंचों में कई बार खुद वसुंधरा राजे ने उनकी धार्मिक छवि के कारण देवासी के चरण स्पर्श करके यह दिखाने की भी कोशिश भी की है। अब उनकी यही कोशिश देवासी के इस पत्र के वायरल होने के बाद मुख्मंत्री और सरकार पर सवालिया निशाना लगाने का मौका दे सकती है।
कांग्रेस के पास सरकार को घेरने का मुद्दा
यह पत्र उस समय वायरल हुआ है जब विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में कांग्रेस को इस पत्र के आधार पर राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा सरकार को तबादला उद्योग चलाकर भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाने का मौका दे देगी। कांग्रेस विधानसभा में देवासी का इस्तीफा मांगने के लिए हंगामा कर सकती है।
पुलिस विभाग में हडकम्प
इधर, इस पत्र के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में भी इस पत्र के लीक होने का मुद्दा सोमवार को छाया रहा। पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार को पुलिस अधीक्षक भी इसे लेकर गंभीर दिखे कि आखिर यह पत्र उनके कार्यालय से वायरल हुआ या बाहर से। वैसे सूत्रों की मानें तो इस पत्र के वायरल होने के स्थान पर काफी हद तक पुलिस विभाग ने कयास लगा लिया है। और यह कयास उन्हें मंत्री ओटाराम देवासी के साथ निरंतर रहने वाले व्यक्ति की ओर शक करने को मजबूर कर रहा है।
राजे और कटारिया से भी उपर पहुंचने की कोशिश!
देवासी सिरोही के विधायक हैं। गोपालन एवं देवस्थान राज्यमंत्री भी हैं। इसके बावजूद उन्होंने जिले के पशु चिकित्सालयों की स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया, जबकि यह उनके विभाग का ही काम है। इसे छोडकर वे जिले में पुलिस कप्तान पर पुलिसकर्मियों के तबादलों की अनुशंसा कर रहे हैं। पुलिस विभाग किसी के दबाव में नहीं आए और प्रमुख ताकत का केंद्र होने के कारण ही राज्य के पुलिस विभाग के आला अधिकारियों स्थानांतरण के अधिकार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने पास ही सुरक्षित रखा है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया भी इससे अलग हैं। वहीं एक राज्यमंत्री स्तर का मंत्री सिर्फ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी होने का कथित दिखावा करके जिले में पुलिस विभाग के स्थानांतरण के लिए सिफारिशें करके सीधे राजे और कटारिया को चुनौति देने का कार्य करते दिख रहे हैं।
कांग्रेस ने की बर्खास्तगी की मांग
शिवगंज पंचायत समिति के प्रधान जीवाराम आर्य ने प्रदेश के देव स्थान,गोपालन व जिले के प्रभारी मंत्री तथा सिरोही विधायक ओटाराम देवासी पर 24 पुलिस कर्मचारियों के तबादलों की सिफारिश करने को उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मंत्री मण्डल से बर्खास्तगी की मांग की हैं।
प्रधान आर्य ने मंत्री देवासी से सवाल किया कि वे जिले की जनता को बताए कि उन्होंने पिछले दो वर्षो में इस तरह पुलिस अधिकारियों को लगाने व हटाने की कितनी सिफारिशें किन अपराधियों को संरक्षण देने के लिए की है।
आर्य ने प्रेस नोट जारी करके कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के उपरांत जिला पुलिस अधीक्षक को 24 पुलिस कर्मचारियों को विभिन्न थानों में लगाने की लिखित सिफारिश करना सरासर न्यायालय की अवमानना की श्रेणी आता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रभारी मंत्री द्वारा इस तरह के कृत्य भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रदेश के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया कहते हैं कि वे पुलिस कर्मियों के तबादले की सिफारिशें नहीं करते वहीं दूसरी तरफ देवासी ने एक साथ 24 कर्मियों के पदस्थापन की लिखित में सिफारिश करके राज्य सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर किया हैं।
लगाया तबादलों के लिए पैसे वसूलने का आरोप
प्रधान जीवाराम आर्य ने प्रभारी मंत्री पर पुलिस विभाग के अलावा अन्य विभागों के अधिकारियों तथा कर्मचारियों से मोटी रकम वसूल कर लगाने व हटाने की सिफारिशें करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देवासी ने पिछले दो साल में जिले में ग्राम सेवकों को भी स्थानांतरण हेतु रोक हटने पर एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में लगाने की लिखित सिफारिशें की हैं।
प्रधान ने प्रभारी मंत्री पर अधिकारियों व कर्मचारियों से पदस्थापन के पश्चात चैथ वसूली व विभागों में भारी रकम की सौदेबाजी करने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि देवासी को सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण की ही चिन्ता लगी रहती हैं,उनका जिले या क्षेत्र के विकास व जनता की समस्याओं के निराकरण के मामले में कोई सरोकार नहीं हैं। आर्य ने देवासी से मंत्री व विधायक पद से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देने की मांग की हैं।
लिखा पुलिस कप्तान को पत्र
जीवाराम आर्य ने पुलिस को कप्तान को पत्र लिखा है। इसमें मांग की है कि वे जिले की जनता को बताएं कि पछले सवा दो साल में पुलिस विभाग में कितने राजनीतिक तबादले हुए हैं।
आर्य ने प्रभारी मंत्री पर तबादला उद्योग चलाने का आरोप लगाते हुए पुलिस विभाग में किये गये तबादलों के सम्बन्ध में पुलिस कप्तान को पत्र लिखकर मांग की हैं कि वे जिले की जनता को बतायें कि पिछले सवा दो साल में पुलिस विभाग में कितने राजनैतिक तबादले हुए हैं। उन्होंने पत्र में कहा हैं कि जिन पुलिस कर्मियों ने राजनैतिक सिफारिशें करवायी हैं उनके विरुद्ध नियमों के तहत कार्रवाई की जाये।
इनका कहना है….
राज्यमंत्री ओटाराम देवासी और अपराधियों का जिले में गठजोड है। वे पुलिस विभाग में इस तरह स्थानांतरण करवाकर अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रहे है। यही कारण है कि जिले में अपराध नियंत्रण में नहीं है। मंत्री पुलिस पर दबाव बनाते हैं और अपराधियों को संरक्षण देते हैं। इन्होंने पुलिस विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवहेलना की है तथा इसी आधार पर बनाए गए राजस्थान के नए पुलिस एक्ट की भी अवहेलना की है। पुलिस अधीक्षक को बताना चाहिए कि दो साल में मंत्री ने कितने स्थानांतरण की सिफारिश की है।
संयम लोढा
पूर्व विधायक, सिरोही।