नई दिल्ली। इशरत जहां मामले में अपने ऊपर लगाए आरोपों का खंडन करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने स्वीकार किया है कि मामले में फाइल किए गए हलफनामों में उन्होंने कुछ ‘संपादकीय’ बदलाव किए थे। उन्होंने स्वीकार किया कि हलफनामों में भाषा की गुणवत्ता में सुधार के लिए केवल मामूली संपादन किया गया था।
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी किताब ‘स्टैंडिंग गार्ड-अ ईयर इन अपोजिशन’ का विमोचन करते हुए कहा कि चिदंबरम ने कहा कि इशरत जहां मामले में दायर हलफनामे का कौन सा हिस्सा गलत है, कौन सा वाक्य गलत है। वो मुझे बताइए।
मामले को लेकर कोई भी मेरे खिलाफ आरोप नहीं लगा रहा है। लेकिन जिस अधिकारी ने ऐसा कहा है कि दरअसल वह हलफनामे के बारे में कुछ नहीं जानता, उसकी यह बात 13 जुलाई 2013 को दर्ज रिकॉर्ड में है कि दूसरा हलफनामा पूरी तरह से न्यायसंगत है।
तत्कालीन गृह सचिव जी के पिल्लई पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि इशरत जहां मामले से जुड़े कागजात कम से कम उन्होंने तीन बार देखे थे और लेकिन आश्चर्य है कि केवल वही कागजात क्यों गुम हो गए। इससे साफ हो जाता है कि पूर्व नौकरशाह झूठ बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फाइल (तत्कालीन) गृह सचिव की मेज से कम से कम तीन बार गुजरी थी। मसौदा जब एजी (अटार्नी जनरल) के पास से आया, जब उन्होंने मेरे पास भेजा और जब मैंने इसे वापस भेजा। कम से कम तीन बार फाइल पिल्लई के पास गई और अब वह कह रहे हैं कि वे कागजात गायब हैं।
जांचे गए मसौदे के गायब होने से किसका फायदा है? मैं चाहता था कि मसौदा एजी जांचें। उन्होंने कहा कि अटार्नी जनरल देश के शीर्ष कानूनी अधिकारी थे। अगर एजी का जांचा गया मसौदा प्रस्तुत हो तो साबित हो जाएगा कि देश के शीर्ष कानूनी अधिकारी एजी ने मसौदा देखा। मैंने कुछ नहीं छिपाया है और मुझे उम्मीद है कि रहस्य से परदा उठ चुका है।
इससे पहले गत सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इशरत जहां मामले में दायर शपथ पत्र से जुड़ी गुम संचिकाओं के मामले की ‘आंतरिक जांच’ का आदेश दिया था।
गृह मंत्रालय के अपर सचिव बी. के. प्रसाद की अध्यक्षता में गठित आंतरिक जांच दल यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि इस मामले में दर्ज दूसरे शपथ पत्र के मसौदे से जुड़ी संचिका कैसे गुम हुई। पिछले हफ्ते राजनाथ सिंह ने लोकसभा में गुम हुई संचिकाओं के मामले की आंतरिक जांच कराने की घोषणा की थी।