नई दिल्ली। विवादों में घिरी फिल्म ‘पद्मावती’ के निर्देशक संजयलीला भंसाली ने गुरुवार को संसदीय समिति के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखा। भंसाली ने फिल्म पर उठे विवादों को अफवाहों पर आधारित बताया।
रिलीज होने से पहले फिल्म में 16वीं सदी की राजपूत रानी के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोपों को फिल्म के निर्देशक भंसाली ने सिरे से खारिज कर दिया।
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के सदस्यों ने दो घंटे से ज्यादा समय तक भंसाली से फिल्म के संबंध में सवाल किए। भंसाली केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी के साथ संसद भवन में समिति के सामने प्रस्तुत हुए थे।
सूत्रों ने बताया कि फिल्म के निर्माता से पूछा गया कि उन्होंने फिल्म को सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिलने से पहले कुछ चयनित पत्रकारों को फिल्म क्यों दिखाई थी।
भंसाली ने भारतीय सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ का संदर्भ बताते हुए कहा कि फिल्म को लेकर सारा विवाद अफवाहों पर आधारित है। मैंने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं की है। फिल्म मलिक मुहम्मद जायसी के काव्य पर आधारित है।
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली 30 सदस्यी संसदीय समिति से भंसाली ने कहा कि हमारा मकसद किसी की भावना को आहत करना नहीं है। समिति की बैठक में कांग्रेस सांसद राज बब्बर और भाजपा के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी भी शामिल थे।
ठाकुर ने एक बयान में कहा कि उन्होंने ‘पद्मावती’ को लेकर कुछ सवाल किए और उन सवालों पर ध्यान देने को कहा गया।
फिल्म के निर्देशक को फिल्म और उसको लेकर हुए विवाद के बारे में पूछे गए सवालों के लिखित जवाब समिति के पास 14 दिसंबर तक दाखिल करने को कहा गया है।
ठाकुर ने फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को जान से मारने की धमकी के संदर्भ में कहा कि मीडिया ने भी दर्शकों में भावना भड़काने में भूमिका निभाई है।
समिति में शामिल सदस्यों में कांग्रेस के सीपी जोशी, भाजपा के ओएम बिड़ला और शिवसेना के राजन विचारे ने फिल्म के बारे में आपत्ति जाहिर की।