चिकित्सा विज्ञान के शोधों और आहार शास्त्र के क्षेत्र में वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोजों से यह स्पष्ट हो गया है कि अण्डा भोज्य पदार्थ नहीं है, और इसके सेवन से विभिन्न घातक रोग जन्म लेते हैं जैसे-हृदय रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप, लकवा, पथरी, गुर्दे की बीमारियां, श्वेतकुष्ठ, सोरायसिस, सूजन, खाज आदि। अण्डे के पीतक में कोलेस्ट्रोल अत्यधिक मात्रा में होता है जो धमनियों में विकार पैदा करता है और हृदय रोगों का प्रमुख कारण है। अण्डे की सफेदी में सोडियम साल्ट की मात्रा अधिक होती है। डा. राबर्ट ग्रास के अनुसार जिन पशुओं को अण्डे की सफेदी खिलाई गयी, उन्हें लकवा मार गया।
प्रत्येक 100 ग्राम अण्डे में 13.3 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि 100 ग्राम दाल से 20.8 से 43.2 प्रतिशत तक प्रोटीन प्राप्त होता है। मूंगफली में 31.6 प्रतिशत प्रोटीन होता है।
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विभिन्न अध्ययनों से पता चला है अण्डे खाने वालों की प्रवृत्ति क्रूरता, तानाशाही, अश्लीलता, हिंसा के प्रति सहज ही झुक जाती है और वे समाज विरोधी गतिविधियों में उलझ जाते हैं। अण्डों के सेवन से बौद्धिक और शारीरिक विकास भी मंद पड़ जाता है और बचपन में अण्डों के सेवन से दुष्परिणाम युवावस्था और बुढ़ापे में प्रकट होते हैं।
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