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संयुक्त परिवार तो आपने से बहुत देखे होंगे जहां परिवार के सभी सदस्य यानी दादा दादी, चाचा चाची सभी एक साथ, एक ही छत के नीचे रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा घर देखा है जिसमें एक व्यक्ति से ही बहुत बड़ा परिवार हो यानी पति एक और पत्नियां 39 ,इस परिवार में कुल 181 लोग हैं। यह परिवार भारत के सूदूर पूर्व प्रदेश मिजोरम में। इसके मुखिया डेड जिओना की 39 पत्नियाँ और 94 बच्चे, 14 बहुएँ और 33 पोते-पोतियाँ हैं। चार मंजिला इमारत के 100 कमरों में रहता है यह परिवार। परिवार के मुखिया डेड जिओना की उम्र है 67 साल, पेशा कारपेंटरी का। परिवार में पूरी तरह से सेना जैसा अनुशासन। पहली पत्नी जाथिआंगी सौंपती हैं सबको काम। रोजाना 30 चिकन, 60 किलो आलू व 100 किलो चावल पकते हैं।
हर इंसान के अंदर एक छुपी हुई कला होती है कुछ लोग इसे बाहर निकालते है और कुछ अपने अंदर ही रहने देते है। कला को किसी भी रूप में निकाला जा सकता है। इस दुनिया में टैलेंटेड लोगो की कमी नहीं है. यहाँ हर इंसान में अलग-अलग तरह का टैलेंट भरा हुआ है। यदि हम भीड़ में कोई एक कलाकार खोजने निकलेंगे तो हमें यहाँ हजारो कलाकार मिल जायेंगे और उनकी कला के अलग-अलग नमूने भी मिल ही जायेंगे. पुराने समय में तो सिर्फ ब्रश से ही पेंटिंग की जाती थी। लेकिन अब कलाकार अपनी पेंटिंग को 3D में बनाने की कोशिश करते है। जिस तरह से भगवान ने हम इंसानो को बनाया है ऐसे ही ये आर्टिस्ट भी अपनी चित्रकला के जरिये इंसान के चेहरे को अपनी पेंटिंग में हूबहू ही बना देते है। इटली के रहने वाले 30 साल के मार्को ग्रेसी भी अपनी पेंटिंग्स के लिए मशहूर है। मार्को किसी के भी चेहरे को अपनी पेंटिंग वैसा के वैसा ही उतार सकते है। मार्को की पेंटिंग की क्लियरिटी देखकर तो लग रहा है कि इतनी क्लियर फोटो तो हाई रेस्योलेशन कैमरे में भी नहीं आती है।
संसार भर में देखा जाए तो जितने देश, उतनी भाषाएं हैं। केवल हमारे ही देश में हर प्रांत की भाषा अलग है। लेकिन शारीरिक मुद्राओं की भाषा यूनिवर्सल है। इसे आसानी से सभी समझ सकते हैं लेकिन कोई-कोई मुद्राएं जरूर भिन्न अर्थ रखती हैं जैसे हमारे यहां अंगूठा दिखाना चिढ़ाने के रूप में प्रयोग होता है लेकिन पाश्चात्य देशों में इसे ‘यस’ के रूप में स्वीकृति माना जाता है।
बॉडी लैंग्वेज हर व्यक्ति की शख्सियत की पहचान बन जाती है। कईयों की बात-बात में नाक भौं सिकोडऩे की आदत होती है कईयों का चेहरा बेहद शांत रहता है। कई बेहद शर्मीले होते हैं। जरा से इमोशन से उनका चेहरा रक्तिम हो जाता है।
यह बॉडी लैंग्वेज ही है जो आपका स्वभाव भी उजागर करती है। गुस्से में आवाज कठोर हो जाती है, ममता से भीगी आवाज अलग होगी, रोमांस में डूबी सैक्सी आवाज अलग। एक ही बात अगर आप अपने बच्चे से कहेंगे तो आपकी बॉडी लैंग्वेज अलग होगी, (टोन) बात करने का तरीका अलग होगा।
सच्चे व्यक्ति के चेहरे पर एक तेज होता है जो उसे निर्भीकता प्रदान करता है। झूठा व्यक्ति लाख कोशिश करे, उसके हाव-भाव कई बार उसका झूठ बता देते हैं। फिल्मों व नाटक में डॉयलाग से ज्यादा महत्त्व रखती है बॉडी लैंग्वेज। एक जमाना था जब केवल मूक फिल्में बनती थीं तब लोग पूरी फिल्म की कहानी हाव भाव से ही समझ लेते थे। बड़े-बड़े एक्टर एक्ट्रेसेज, सब के अपने मैनरिज्म होते हैं। किसी के बाल झटकने की अदा, किसी के रूक रूक कर बोलने का अंदाज, देवआनंद स्टाइल, राजकपूर स्टाइल, राजेश खन्ना स्टाइल, मधुबाला की तिरछी आंखों से दी जाने वाली बंकिम मुस्कान, नर्गिस का नाक सिकोडऩा, मीना कुमारी की अति भावुकता, सब उनकी खास पहचान थे। नृत्य बॉडी लैंग्वेज का सबसे सशक्त प्रदर्शन है।
आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं, उसका सामीप्य आपको खुशी देता है। आप उस के नज़दीक रहना चाहते हैं लेकिन वहीं जहां आप किसी से नफरत करते हैं तो उसके साथ नहीं बैठेंगे। खासकर संयुक्त परिवारों में यह नजारा बहुत देखने को मिलता है।
सोच सकारात्मक होगी तो आप में दोस्ताना रवैय्या, आत्मविश्वास झलकेगा। नकारात्मक होने पर हाव-भाव भी बदले होंगे। एक गहरी ऊब, तनाव, उपेक्षा आपको लोगों में पापुलर नहीं बनाएगी तब आपको लोग सिर्फ झेलेंगे। व्यक्तित्व के विकास, उसकी संपूर्णता के लिए इनर पावर, भीतरी ऊर्जा और बाह्य हाव-भाव व बॉडी लैंग्वेज में गहरा संबंध जरूरी है। शब्दों से ज्यादा व्यक्ति के हावभाव उसकी पहचान बन जाते हैं।
जम्मू | जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर गुरुवार को भारत और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी हो रही है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने देवगर क्षेत्र में बिना किसी उकसावे के अंधाधुंध गोलीबारी और गोलाबारी शुरू की। पाकिस्तानी सेना ने देवगर में छोटे एवं स्वचालित हथियारों और मोर्टार से नागरिक एवं सैन्य इकाइयों पर निशाना साधा। मेजर सहित तीन भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद एलओसी पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है।
उज्जैन | मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चीनी धागे के उपयोग को जिला प्रशासन ने प्रतिबंधित कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि इन धागों (चाइना डोर) में अत्यधिक खतरनाक अवयवों का इस्तेमाल होता है, जिससे राहगीरों व पशु-पक्षियों के लिए घातक है। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी नरेन्द्र सूर्यवंशी ने बुधवार को आधिकारिक आदेश जारी कर पूरे उज्जैन जिले में चीनी धागे पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में आमजन को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी नागरिक, व्यापारी, संस्था चीनी धागे का क्रय-विक्रय नहीं करेगी। यही नहीं चाइना डोर का भंडारण व मकर संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी में चाइना डोर के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। गौरतलब है कि उज्जैन जिले में मकर संक्रान्ति पर्व के अवसर पर बड़े पैमाने पर पतंगबाजी की जाती है, जिसमें चाइना डोर का प्रयोग भी अधिक मात्रा में होता है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।