लाहौर। पाकिस्तान की सांस्कृतिक राजधानी लाहौर में बैग बनाने वाली एक फैक्टरी ढहने से उसके मलबे में दबकर कम से कम 23 लोगों की मौत हुई है। बचावकर्मियों ने मलबे में से 100 से ज्यादा लोगों को जीवित बाहर निकाला है।
खबरों में कहा गया है कि सुंदर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में स्थित चार मंजिला राजपूत पोलिएस्टर पॉलीथीन बैग फैक्टरी के विस्तार का काम चल रहा था और उसी दौरान बुधवार को यह ढह गई। एक बचाव अधिकारी ने बताया कि अब तक 23 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि अभी तक 100 लोगों को जीवित निकाला गया है।
उन्होंने कहा कि हादसे में जीवित बचे लोगों की खोज और बचाव अभियान रात भर चला क्योंकि इस तरह की खबरें थी कि लोग मलबे में फंसे हुए हैं। माना जा रहा है कि करीब 100 लोग अभी भी इमारत के मलबे में फंसे हुए हैं। जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है वैसे वैसे उनके बचने की उम्मीद धंधुली होती जा रही है। एक शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि अभियान का मुख्य फोकस जीवित लोगों को बचाना है।
उनके अनुसार अभी तक 102 लोगों को निकाला गया है। उन्होंने बताया कि बचावकर्मी अभियान के दौरान ‘ऑडियो-विजुअल’ तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। पीडि़तों के रिश्तेदारों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि हादसे को 24 घंटे से ज्यादा गुजरने के बाद भी बचाव कार्य समाप्त होता नहीं दिख रहा है। टीवी दृश्यों में हताहतों के असहाय रिश्तेदार मदद के लिए रोते दिखाए गए हैं।
जियो टीवी की खबर के मुताबिक, फैक्टरी मालिक राणा अशरफ भी हादसे में मारा गया है। राजपूत इंडस्ट्री के नाम से जानी जाने वाली इमारत में पॉलिथीन बैग बनाने का काम होता था और इमारत का एक हिस्सा निर्माणाधीन था जिसमें दर्जनों कर्मचारी लगे हुए थे।
पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने बचाव अभियान को देखने के लिए मौके का मुआयना किया। उन्होंने हादसे की जांच के आदेश दिए और वायदा किया कि अगर दुर्घटना में लापरवाही सहित मानवीय चूक पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि 26 अक्तूबर को आए भूकंप में शायद इमारत को नुकसान पहुंचा हो। रात में सेना को भी बुलाया गया था क्योंकि अधिकारियों को मलबा हटाने को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। सेना ने कहा कि बचाव कार्यों में मदद के लिए मौके पर विशेषज्ञों को तैनात किया गया है।
सैनिक और बचावकर्मी इमारत के मलबे को हटाने में व्यस्त हैं। यह हादसा देश में 7.5 तीव्रता वाला भूकंप आने के एक हफ्ते से भी कम वक्त में हुआ है। इस जलजले में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में लगभग 400 लोग मारे गए।