ढाका। बांग्लादेश ने पाकिस्तान के उच्चायोग द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए भ्रामक पोस्ट पर इस्लामाबाद से औपचारिक माफी मांगने की मांग की है। पोस्ट में कहा गया था कि बांग्लादेश की आजादी की घोषणा शेख मुजीबुर रहमान ने नहीं, जियाउर रहमान ने की थी।
बीडीन्यज24 के अनुसार ढाका ने पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा संचालित फेसबुक पेज से उस वीडियो को जल्द हटाने को कहा है। वीडियो को शुरू में फेसबुक पेज-पाकिस्तान अफेयर्स पर पोस्ट किया गया था। यह वीडियो 13.45 मिनट का था।
बांग्लोदश की मीडिया ने बताया कि ढाका में मौजूद पाकिस्तानी उच्चायोग ने अपने फेसबुक पेज पर वीडियो को साझा किया। वीडियो पर विवाद होने के बाद इसे उच्चायोग के पेज से हटा दिया गया।
पाकिस्तानी उच्चायुक्त रफीउज्जमान सिद्दीकी को मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने तलब किया, और इस मुद्दे पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई गई और इतिहास की विकृति के खिलाफ चेतावनी दी गई। राजदूत ने मंगलवार को विदेश सचिव (द्विपक्षीय और कांसुलर) कमरुल अहसान से मुलाकात की।
अहसान ने कहा कि हमने उनसे कहा कि यदि यह जारी रहा तो यह दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा। इतिहास, इतिहास है। कोई प्रचार करके इसे मिटा नहीं सकता।
सचिव अहसान के अनुसार पाकिस्तान के राजदूत ने यह कहते हुए माफी मांगी कि यह घटना अनजाने में हुई और वह स्थिति को समझ नहीं पाए।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि सरकार को बहुत अफसोस है कि बांग्लादेश के लगातार कहने के बाद भी पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने बांग्लादेश के खिलाफ चलाए जा रहे इन दुष्ट अभियानों को बंद नहीं किया।
सिद्दीकी को कहा गया कि स्थापित राजनयिक मानदंडों के पालन के लिए भविष्य में ढाका में मौजूद पाकिस्तान उच्चायोग के साथ-साथ पाकिस्तान के अधिकारियों को भी जिम्मेदारी से काम करना होगा और बांग्लादेश के हितों के खिलाफ किसी भी तरह की अनौपचारिक और उत्तेजक गतिविधियों से बचना होगा।
पाकिस्तान के राजदूत को कहा गया कि वह मामले को पाकिस्तान में मौजूद उचित अधिकारियों के ध्यान में लाएं और बताएं कि बांग्लादेश इस वीडियो के लिए पाकिस्तान को औपचारिक रूप से माफी मांगने के लिए कह रहा है।
वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि बंगबंधु बांग्लादेश की आजादी नहीं चाहते थे और उन्होंने बंगाली बहुल पूर्वी पाकिस्तान के लिए स्वायत्तता की मांग की थी। पाकिस्तान को दिए गए पत्रक (डिमार्चे) में लिखा गया है कि बांग्लादेश सरकार इस तरह के निराधार कहानियों का खंडन करती है।
राजनयिक पत्रक (डिमार्चे) के अनुसार राजनयिक मानदंडों एवं प्रथाओं का उल्लंघन और झूठ को फैलाने के लिए जानबूझकर प्रचार करना न केवल द्विपक्षीय संबंधों को खतरे में डालेगा, बल्कि इतिहासकारों की पीढ़ियों, बुद्धिजीवियों और साथ ही सच्चाई एवं न्याय के लिए लड़ने वाले आम आदमियों को भी क्षति पहुंचाएगा।
राजनयिक पत्रक (डिमार्चे) में लिखा गया है कि इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता कि स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माता और राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश की स्वतंत्रता नहीं चाहते थे या बांग्लादेश की स्वतंत्रता हमारे महान नेता के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा घोषित की गई थी। पाकिस्तान द्वार ऐसा दुर्व्यवहार समान्य रिश्तों को क्षति पहुंचा सकता है।