नई दिल्ली। पाकिस्तान के विस्फोटक बल्लेबाज शाहिद अफरीदी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। ये तीसरा मौका है जब शाहिद अफ़रीदी ने संन्यास की घोषणा की है।
सबसे पहले साल 2010 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़ने की घोषणा की थी और 2015 में शाहिद ने वनडे क्रिकेट को भी गुड बाय कह दिया था।
लेकिन इस बीच वनडे क्रिकेट से शाहिद का ‘आना-जाना’ लगा रहा। कभी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से मतभेद तो कभी किसी और वजह से वे संन्यास लेते रहे और उनकी वापसी होती रही।
इस बार संन्यास की घोषणा करने के बाद अफरीदी ने कहा कि वे अब फ्रीलांस क्रिकेटर बनना चाहते हैं और दुनियाभर की लीग्स में खेलना चाहते हैं। इससे पहले टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।
अफरीदी ने अपने क्रिकेट करियर में 398 वनडे मैच खेले। इन मैचों में उन्होंने 8,064 रन बनाए| इसके साथ उन्होंने वनडे में 395 विकेट लिए।
इंटरनेशनल मैच की बात करें तो अफरीदी ने 98 इंटरनेशनल मैच खेले। इनमें उन्होंने 1405 रन बनाए। वहीं, 97 विकेट लिए।
सचिन के बैट से ठोंकी थी सेंचुरी
चार अक्टूबर 1996 को अफ़रीदी ने दूसरा अंतराष्ट्रीय मैच खेला। बताया जाता है कि श्रीलंका के ख़िलाफ़ जब वे मैदान पर उतरने वाले थे तो उनकी बैटिंग किट कहीं गुम हो गई थी। उन्हें खेलने के लिए पाकिस्तानी स्पिनर सकलेन मुश्ताक के जूते और हेलमेट दिए गए। इस मैच में अफरीदी जिस बल्ले से खेले वो सचिन तेंदुलकर का था। उस वक्त कोई नहीं जानता था कि 16 साल की उम्र में अफरीदी इतिहास लिखने जा रहे हैं।
उन्होंने 11 छक्के, 6 चौके की मदद से 37 गेंदों में क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज शतक बनाया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर छा गए। अफरीदी का ये रिकॉर्ड 17 साल तक नहीं टूटा। बता दें किे सचिन ने एक मर्तबा वकार यूनुस को अपना बैट देकर सियालकोट से ऐसा ही बल्ला बनवाने की गुजारिश की थी और नैरोबी के मैच में वकार ने अफ़रीदी को यही बल्ला खेलने के लिए दिया था।