नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर पाकिस्तान पैनी नजर बनाए हुए है। पाकिस्तान का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी एक चतुर राजनीतिज्ञ हैं जो कि प्रतिद्वंद्वियों को मात देने की पूरी क्षमता रखते हैं। उनका लक्ष्य भारत की राजनीतिक और सैन्य प्रभुत्वता को बढ़ाना है।
पाकिस्तान के एक अखबार में छपे संपादकीय के अनुसार जहां एक तरफ अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत एक स्टार की तरह किया, वह अनेक कार्यक्रमों ओर दावतों में हिस्सा ले रहें है। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को पश्चिमी देशों पर प्रभाव बनाने के लिए केवल संयुक्त राष्ट्र का मंच ही मिला। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए अच्छी नहीं है।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित सतत विकास शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क गए दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह साफ कर दिया है कि उनके बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी।
अपने लेख में अखबार ने कहा कि 30 सालों में अमेरिका के पश्चिमी तट की यात्रा पर जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी पहले भारतीय हैं। उन्होंने सिलिकॉन वैली में आयोजित रात्रिभोज में हिस्सा लिया जिसमें व्यापार जगत के 350 दिग्गजों के अलावा माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और एडोब सिस्टम्स के भारतीय मूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी शामिल थे।
प्रधानमंत्री मोदी न केवल सिलिकॉन वैली में आईटी क्षेत्रों के दिग्गजों के साथ बातचीत करेंगे बल्कि टाउन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में फेसबुक के 1.5 अरब उपयोगकर्ताओं के सवालों के उत्तर भी देंगे। इसके अलावा वह सिलिकॉन वैली में कार्यरत भारतीयों को प्रोत्साहित भी करेंगे ताकि उनके ज्ञान और अनुभव का फायदा भारत को मिल सके।
अखबार ने सवाल किया कि इस बीच प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ क्या करे रहें हैं। जहां एक तरफ मोदी ने अपना ध्यान अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के साथ जोड़ने पर केंद्रित किया वहीं दूसरी तरफ नवाज़ शरीफ़ ने हमारे राष्ट्रीय अहम को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति से उर्दू में बात करना ज्यादा उचित समझा। यह एक मज़ाक से ज्यादा कुछ नहीं। इससे लगता है कि पश्चिम देशों को देने के लिए पाकिस्तान के पास कुछ नहीं। यहां तक की पाकिस्तान के पास व्यक्तित्व और करिश्मा तक नहीं।