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श्रीमदभगवत कथा के दौरान बताया समुद्र मंथन का प्रसंग - Sabguru News
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श्रीमदभगवत कथा के दौरान बताया समुद्र मंथन का प्रसंग

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श्रीमदभगवत कथा के दौरान बताया समुद्र मंथन का प्रसंग

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पाली। गीता सत्संग भवन में श्रीमदभगवत कथा में समुद्र मंथन के प्रसंग को बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत करते हुए पंडित सुरेन्द्र कुमार शास्त्री ने श्रद्धालुओं को समुद्र मंथन का दृष्टांत बताया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन की जरुरत क्यों पड़ी, क्या क्या निकला, अमृत किसने पिया, हलाहल विष किसने पिया।

समुद्र मंथन के प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि बिना मेहनत के फल नहीं मिलता है। सत्कर्म करने से पहले विष का कड़वापन भी पीना पड़ता है। भोलेनाथ की शरण में सभी देवता जाते हैं, भगवान ब्रहमा, विष्णु आदि देवता भगवान षिवषंकर को मनाते हैं, उनके मनाने पर भगवान भोलेनाथ विष पी लेते हैं। विष को गले से नीचे नहीं उतरने दिया और नीलकंठ कहलाए।

संसार में सबसे बड़ा धर्म गौमाता की सेवा करने से होता है। कामधेनु है वहां जहां सब सुख हैं। दुर्वासा ऋषि के प्रसंग में बताते हैं कि उनका गुस्सा बहुत तेज था। जहां क्रोध होता है वहां लक्ष्मी निवास नहीं कर सकती है।

भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनासा गया। नंद घर आनंद भयो जै कन्हैया लाल की। नंद जन्म के समय सभी महिलाएं सजधज कर आयीं थीं। सभी ने बड़े ही हर्ष से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मनाया।

श्याम तेरी मुरली घायल कर जाती है जैसे भजनों से श्रोता कथा सुनकर मंत्रमुग्ध हो रहे थे। इस अवसर पर गीता भवन के गादीपति स्वामी प्रेमानंद, स्वामी अंकुशपुरी, जगन्नाथ शर्मा, रामजीवन तापडि़या, भंवरसिंह भाटी, महेश आचार्य, पुखराज फौजी सहित महिला पुरुष उपस्थित थे।

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