पाली। पाली के गीता सत्संग भवन में ब्रहमलीन संत 1008 स्वामी रामानंद महाराज की तृतीय पुण्यतिथि एवं राधाकृष्ण मंदिर के पाटोत्सव के अवसर पर श्रीमदभगवद कथा का अयोजन किया गया।
पंडित सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने भगवान की भक्ति, ज्ञाान वैराग्य, धुन्धुकारी के प्रसंगों एवं भागवद महात्म्य को समझाया एवं गौकर्ण द्वारा श्रीमदभगवत कथा श्रवण करने की विधि को बड़े ही रोचक तरीके से श्रद्धालुओं को समझाया।
इस अवसर पर गीता भवन के गादीपति स्वामी प्रेमानंद, रामजीवन तापडि़या, भंवरसिंह भाटी,प्रदीप छुगानी, चुनमुन शर्मा, नव्य शर्मा, हरिकृष्ण मिश्रा आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।
गो कृपा महोत्सव
पाली में आगामी 8 अप्रेल से 16 अप्रेल तक गो कृपा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव की जानकारी देते हुए राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि 1008 गो परयण गाय के सामने बिठाकर किए जाएंगे। यह पांच सौ — पांच सौ के समूह में होंगे। यह गो रक्षा के लिये एक रचनात्मक आंदोलन है, इससे ही व्यक्तियों को जोड़कर गाय को बचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि गो माता भारतीय संस्कृति ही मूल आधार, सनातन धर्म का सार, राष्ट्र की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था की धुरी रही है। गो सेवा के नाम पर ऐसा कदापि नहीं सोचें कि हमसे इसके लिए क्या लिया जाएगा। संत तो आपको बुला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 7 नवंबर 1966 को गोपाष्टमी का महान गो पर्व देश की राजधानी दिल्ली में लाखों गो भक्तों व गो प्रेमी साधु संतों की उपस्थिति में मनाया गया। इसमें शंकराचार्य निरंजनदेवतीर्थ महाराज, धर्मसम्राट स्वामी करपात्री, प्रभुदत्त ब्रहमचारी, संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी, महात्मा रामचन्द्रजी वीर, भाई हनुमानजी पोददार, परमहंस मगाराम राजगुरु, गणेशदास भक्तमाली, सीतारामजी खेमका आदि उपस्थित थे।
पिछले पांच दशकों से गौरक्षा आंदेालन चल रहे हैं परन्तु अब जाग्रति आई है। गांधीजी ने कहा था कि स्वराज्य प्राप्त होते ही गोवध बंद कराया जाएगा परन्तु आज तक यह बंद नहीं हुआ। वोट बैंक की राजनीति देश को बर्बाद कर रही है। आज सभी कार्य वोट बैंक को देखकर ही किए जा रहे हैं।
कुछ राज्यों में तो गाय बहत कम देखने को मिलती है। केरल व चेन्नई इसका बडा उदाहरण है। अच्छी बात है कि राजस्थान में तो गाय सबसे ज्यादा है। मनोरमा गोलोक तीर्थ नंद गांव में जो उत्सव होगा उसमें देश के सभी सम्प्रदाय के शंकराचार्य, धर्मगुरु, संत महंत भाग लेंगे।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि गाय हमारी माता है को पाठयक्रम में शामिल किए जाने की मांग को ही सांप्रदायिकता मान लिया जाता है। सभी गाय की महता को जानते हैं पर खुलकर नहीं कहते। हम कोशिश कर रहे हैं कि शिक्षा पाठयक्रम में गाय की महिमा को जोड़ा जाए। पंचगव्य पदार्थों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। आज में गाय के महात्य को लेकर सभी को बता रहा हू। गौमाता बचेगी तो देश बचेगा।