इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को पनामा पेपर मामले की सुनवाई दोबारा शुरू कर दी। न्यायालय का फैसला देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तकदीर तय करेगा।
शरीफ ने अपने परिवार की संपत्ति पर जांच समिति की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण तथा जनादेश के खिलाफ करार दिया है। न्यायाधीश एजाज अफजल खान, न्यायाधीश शेख अजमत तथा न्यायाधीश इजाजुल हसन की तीन सदस्यीय पीठ ने इस हाईप्रोफाइल मामले की सुनवाई शुरू कर दी, जो लगभग दो महीने के बाद सर्वोच्च न्यायालय को लौटा।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 अप्रेल को शरीफ के परिवार की संपत्ति की जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद एक संयुक्त जांच दल (जाआईटी) का गठन किया गया था। जांच दल ने 10 जुलाई को 60 दिनों की जांच रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी।
जेआईटी ने शरीफ परिवार पर झूठा होने तथा आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि शरीफ परिवार लंदन में अपार्टमेंट के लिए पैसों का स्रोत बताने में नाकामयाब रहा।
रिपोर्ट आने के बाद शरीफ ने कोई भी गलत काम करने से इनकार किया। जेआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शरीफ के बच्चों-बेटी मरियम नाज तथा बेटों हसन व हुसैन नवाज पर ‘फर्जी’ दस्तावेज जमा कराने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक मरियम नवाज पर लंदन में दो आलिशान अपार्टमेंट लेने के लिए जाली कागजातों पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया है।
सुनवाई से पहले, आवामी मुस्लिम लीग (एएमएल) की प्रमुख शेख रशीद सहित विपक्ष के नेता सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे और संवाददाताओं से बातचीत में शरीफ के इस्तीफे की मांग को दोहराया।
विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान खान ने कहा कि प्रधानमंत्री जेल जाएंगे और अगर न्यायालय उन्हें पद से हटाने में नाकाम रहा, तो वह विरोध-प्रदर्शन करेंगे।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पीटीआई के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने कहा कि उनके वकील नईम बुखारी ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि अगर जरूरत पड़े तो शरीफ को जिरह के लिए बुलाया जाए, संसद के लिए उन्हें अयोग्य ठहराया जाए तथा उनके व उनके परिवार के खिलाफ मामलों को अकाउंटिबिलिटी कोर्ट को भेजा जाए।