लंदन। बड़ी मात्रा में लीक हुए वित्तीय दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है कि कैसे ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की निजी संपत्ति सहित बेहद अमीर लोगों द्वारा गोपनीय तरीके से कर पनाहगाह देशों (वे देश जहां कम कर लगता है) में बड़ी मात्रा में रकम का निवेश किया गया है।
यह विवरण रविवार को लीक हुईं 1.34 करोड़ फाइलों से सामने आया है, जिसमें ऐसे वैश्विक वातावरण का खुलासा हुआ है, जिसमें कर चोरी की बढ़ सकती है। इसके साथ ही ऐसे जटिल और कृत्रिम तरीके भी सामने आए हैं, जिनके जरिए अमीर कंपनियां कानूनी तरीके से अपनी संपत्ति को बचा सकती हैं।
दो अपतटीय सेवा प्रदाताओं और 19 कर पनाहगाह देशों में पंजीकृत कंपनियों से मिली जानकारी को जर्मन समाचारपत्र सुड्डेउत्चे जीटंग ने हासिल किया है और इसे ‘इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ (आईसीआईजे) ने गार्डियन, बीबीसी और न्यूयॉर्क टाइम्स सहित 100 मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया है।
पैराडाइज पेपर्स में हुए खुलासे से पता चला है कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की लाखों पाउंड की निजी संपत्ति केमैन आईलैंड फंड में निवेश की गई है और उनकी कुछ संपत्ति एक रीटेलर के पास गई, जिस पर गरीब व कमजोर परिवारों का शोषण करने का आरोप है।
इसमें अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मंत्रिमडल के सदस्यों, सलाहकारों, दाताओं द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए लेनदेन का विवरण है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दामाद के सह-स्वामित्व वाली एक कंपनी द्वारा अमरीकी वाणिज्य मंत्री के शिपिंग समूह को किया गया पर्याप्त भुगतान शामिल है।
जारी हुए दस्तावेजों में यह भी सामने आया है कि कैसे सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां ट्विटर, फेसबुक ने लाखों का निवेश हासिल किया है।
इसमें कर से बचाव करने वाले कैमेन आईलैंड ट्रस्ट की जानकारी भी सामने आई है, जिसका प्रबंधन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो के मुख्य धन प्रबंधक द्वारा किया जाता है।
लीक दस्तावेजों में फिल्म और टीवी उद्योग के कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने अपतटीय योजनाओं और जटिल अपतटीय वेब्स के द्वारा अपने धन को बचाया, जिसका इस्तेमाल दो रूसी अरबपतियों ने आर्सेनल और एवरटॉन फुटबॉल क्लब के स्टॉक खरीदने के लिए किया।
इस खुलासे से ट्रंप और ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे सहित वैश्विक नेताओं पर दबाव पड़ेगा, जिन्होंने आक्रामक कर योजनाओं को रोकने का संकल्प लिया है।
इस जांच के प्रकाशन के लिए 380 से ज्यादा पत्रकारों ने 70 सालों के दौरान के दस्तावजों के आंकड़ों की जांच में पूरा एक साल लगाया है।