सिरोही। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद परसरामपुरिया भले ही अपनों की भीतरघात के कारण जिला प्रमुख नहीं बन पाए, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पुत्रवधु पायल परसरामपुरिया ने इस सपने को पूरा कर दिया। जिला परिषद सभागार में शनिवार को हुए मतदान में पायल परसरामपुरिया को 21 में से 15 मत मिले और वह भाजपा की पहली जिला प्रमुख बनी। इतना ही नहीं पायल सिरोही मे भाजपा की पहली महिला जिला प्रमुख हैं।
सवेरे भाजपा की ओर से पायल परसरामपुरिया और भाजपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित के भाई गोविंद पुरोहित की पत्नी लक्ष्मी पुरोहित ने भाजपा की ओर से नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस की तरफ से आबूरोड यूआईटी चेयरमेन हरीश चैधरी की पत्नी नीलकमल ने नामांकन दाखिल किया। भाजपा ने पायल परसरामपुरिया को अपना प्रत्याशी घोषित करते हुए सिंबल पेश किया, इससे लक्ष्मी पुरोहित का नामांकन रदद हो गया। तीन बजे बाद मतदान हुआ। इसके बाद आये चुनाव परिणामों में भाजपा की पायल परसरामपुरिया को 15 और कांग्रेस की नीलकमल को छह वोट मिले।
वैसे इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार भी सेंधमारी होगी, लेकिन भाजपाइ डेलीगेटस ने इन आशंकाओं और चर्चाओं को अपने मतों से सिरे से नकार दिया। कांग्रेस की प्रत्याशी नीलकमल को छह वोट मिले।
विनोद परसरामपुरिया से हुई थी भीतरघात
वर्ष 2011 में हुए जिला परिषद चुनावों में पहली बार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की स्वीकृति हुई थी। भाजपा ने विनोद परसरामपुरिया के नेतृत्व में 21 में से 12 सीटें जीती और कांग्रेस को नौ सीटों पर संतोष करना पडा। परसरामपुरिया इस खेल को एकदम सीधा समझ रहे थे और अपनी पार्टी के जिन डेलीगेटस के प्रति उन्हें विश्वास था, उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ लोगों के साथ मिलकर दगाबाजी की।
जिला प्रमुख के चुनाव में विनोद परसरामपुरिया भाजपा और चंदनसिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। परिणाम आए तो परसरामपुरिया की जगह कांग्रेस के चंदनसिंह विजय हुए। भाजपा में सेंधमारी हुई। बाद में इसके छींटे जिले के कई वरिष्ठ नेताओं पर भी पडे। उसके बाद परसरामपुरिया कभी जिले की राजनीति में सक्रिय नहीं दिखे। बाद में उनकी मृत्यु हो गई और लुम्बाराम चैधरी के हाथों में जिले में भाजपा की डोर आ गई।
हाथ में तस्वीर, आंखों में आंसू
ये आंसू नहीं कृतज्ञता थी कि पायल परसरामपुरिया की जीत की घोषणा होते ही उनकी सासु, ननंद, देवर और पति की आंखों आंसू डबडबा आए। डबडबाई आंखों से धुंधलाए नजारों के बीच इन सबकी नजरें कृतज्ञता जता रही थी, सिरोही के ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं की और उन डेलीगेटस के लिए भी जिन्होंने पायल परसरामपुरिया का वो हश्र नहीं किया जो पिछली बार भाजपा के जयचंदों ने विनोद परसरामपुरिया का किया था। उनकी हार ने भले ही उनक प्रतिद्वंद्वियों को खुशी दी हो, लेकिन इस सदमे के बाद हुई उनकी मौत ने पूरे परिवार को आघात पहुंचाया। पायल जब मतगणना स्थल से बाहर निकली तो उनके हाथ में उनके ससुर की तस्वीर थी, उनकी सासु ने सबसे पहले उन्हें माला पहनाई तो उनके पांव छूने के बाद पूरा परिवार की आंखें छलक गई। दरअसल, यह जीत भाजपा के कई कर्मठ कार्यकर्ताओं और परसरामपुरिया परिवार की संवेदनाओं से जुडी थी। पायल अपने पति और भाजयुमो के पदाधिकारी के साथ
जीतने के बाद पायल परसरामपुरिया जब जिला परिषद से निकली तो उनके गले में माला था और हाथ में अपने श्वसुर विनोद परसरामपुरिया की तस्वीर। उनके पति और भाजयुमो प्रदेश पदाधिकारी अरूण परसरामपुरिया उनके साथ थे। जीप में लोगो का आभार जताने के लिए सडक पर निकली तब भी पायल के हाथ में दिवंगत परसरामपुरिया के तस्वीर थी। यहां से वह सीधी सारणेश्वर मंदिर पहुंची जहां पर उन्होंने सारणेश्वर महादेव के दर्शन किए।