बेंगलुरू। अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे का कहना है कि बच्चों को शिक्षा और मूल्य प्रदान करना केवल विद्यालयों का काम नहीं है बल्कि यह माता-पिता का भी कर्तव्य है कि वह भी इसके लिए प्रयासरत रहें और बच्चों को वैदिक शिक्षा प्रदान करें।
सोनाली ने कहा कि हम सारी जिम्मेदारी विद्यालयों पर नहीं डाल सकते। माता-पिता क्या कर रहे हैं? ऐसी कुछ जिम्मेदारियां हैं जो माता-पिता को निभानी ही होंगी। ऐसा नहीं है कि आप अपने बच्चे को फैक्टरी विद्यालय में भेज दें और फिर वहां से तैयार उत्पाद बाहर आ जाए। ऐसा नहीं होना चाहिए।
अपनी किताब ‘द मॉडर्न गुरूकुल-माय एक्सपेरिमेंट्स विद परेंटिंग’ के विमोचन पर 40 वर्षीय सोनाली ने कहा कि एकल परिवारों के चलन के कारण बच्चे संस्कृति से वह जुड़ाव खोते जा रहे हैं जो कि उन्हें संयुक्त परिवार में मिलता था।
उन्होंने कहा कि गुरूकुल प्रणाली में शिक्षा प्रदान करने के लिए समग्र दृष्टिकोण को अपनाया जाता था।
उन्होंने कहा कि हमारी संयुक्त परिवार प्रणाली में यह स्थान दादा-दादी के पास होता था लेकिन अब हम ज्यादा से ज्यादा एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं, तो ऐसे में पेरेंटसकी जिमेदारी है कि वह वैदिक संस्कृति की शिक्षाओं को घर में प्रदान करें।