नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद लोकसभा में गुरुवार को नया आधार कार्ड विधेयक पेश किया। यह नया आधार विधेयक वर्ष 2016 के वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के वितरण पर लक्षित है। यह बिल लोगों को विशिष्ट पहचान संख्या दिलाने के लिए एक कानूनी आधार है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री जेटली ने बुधवार को सदन में कहा था कि आधार कार्ड विधेयक, जो एक महत्वपूर्ण कानून है जिससे सब्सिडी को तर्कसंगत बनाया जा सकता है। उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि यह आधार विधेयक चल रहे बजट सत्र में पारित हो जाएगा।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने आम बजट भाषण में आधार कार्ड को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए आधार बिल लाने की बात कही थी। आधार बिल से सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा सीधे जरूरतमंदों के खाते में पहुंच सकेगा।
इस दौरान उन्होंने कहा था कि आधार पर कानून पारित करने से लेकर हम कई महत्वपूर्ण सुधार करेंगे। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आधार को संवैधानिक समर्थन के साथ सरकार के सभी किस्म के लाभ उन लोगों तक पहुंचाया जाए जो इसके हकदार हैं।
उम्मीद है कि इससे न सिर्फ लीकेज रोकने में कामयाबी मिलेगी, बल्कि इससे भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी। जबकि स्पष्ट है कि आधार संख्या या प्रमाणीकरण से नागरिकता या अधिवास के किसी अधिकार की पुष्टि नहीं होती।
जानकारी हो कि राज्यसभा में पहले से ही भारत का एक राष्ट्रीय पहचान प्राधिकार विधेयक-2010 लंबित है। 2011 में सौंपी गई रिपोर्ट में यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में वित्त पर हुई एक स्थायी समिति में वर्ष 2010 के विधेयक में कुछ कमियां पाई गई थी।
इसके बाद समिति ने सरकार विशिष्ट पहचान (यूआईडी) योजना पर पुनर्विचार करने के लिए संसद में एक नया विधेयक पेश करने की सिफारिश की थी।
देश में अब तक 98 करोड़ से अधिक आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं और प्रतिदिन 26 लाख बॉयोमीट्रिक और 105 लाख ई-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) प्रक्रिया जारी हैं। आधार संख्या को 11.19 करोड़ सब्सिडी खातों से जोड़ा गया है, जबकि इसके लाभार्थियों की संख्या कुल 16.5 करोड़ है।