नई दिल्ली। संसद का लगभग एक माह लंबा मॉनसून सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। दोनों सदनों में पिछले सत्र की बनिस्बत कामकाज कम हुए।
मॉनसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हुआ था, जिस दिन 14वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाले गए थे। इसी सत्र के दौरान 13वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए भी आठ अगस्त को मतदान हुआ।
सत्र के दौरान ऊपरी सदन के लिए हुए चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी भी बनी। पूर्व के सत्रों की बनिस्बत ऊपरी सदन में इस बार निचले सदन के मुकाबले अधिक कामकाज हुआ।
दोनों सदनों के सचिवालयों की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़े के अनुसार, लोकसभा की उत्पादकता 77.94 प्रतिशत रही, जो कि बजट सत्र की 114 प्रतिशत उत्पादकता से काफी कम है।
राज्यसभा की उत्पादकता लोकसभा की तुलना में थोड़ी अधिक 79.95 प्रतिशत रही। बजट सत्र में ऊपरी सदन की उत्पादकता लगभग 93 प्रतिशत रही। उत्पादकता प्रस्तावित घंटों और सदन में हुए कामकाज के घंटों के बीच का अनुपात है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार सदन के परिणाम से खुश है।
कुमार ने संसदीय राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और एस.एस. अहलूवालिया के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विधायी कामकाज के मामले में और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा में सभी राजनीतिक दलों की व्यापक भागीदारी के मामले में यह सत्र सफल रहा है।
इसके पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। महाजन ने कहा कि मानसून सत्र की शुरुआत 17 जुलाई को हुई थी और इस दौरान इसमें 19 बैठकें हुईं और 71 घंटे काम हुए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन का 30 घंटे का समय व्यवधानों व स्थगनों के कारण बर्बाद हुआ। सदन ने अपने कार्य को पूरा करने के लिए करीब 10 घंटे 36 मिनट का अतिरिक्त समय दिया। मानसून सत्र में सदन में 17 विधेयक पेश किए गए और 14 पारित हुए।
महाजन ने सदन को चलाने में सहयोग देने के लिए सदस्यों को धन्यवाद दिया। इसी तरह, सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
सत्र के दौरान कुल 19 बैठकें हुईं और 80 घंटे से अधिक समय तक कार्यवाही चली। सदन में व्यवधानों की वजह से हुई करीब 25 घंटों की बर्बादी को समायोजित करने के लिए सदन की बैठक सात घंटे अधिक चली और विधायी कार्य पूरे किए गए।
राज्यसभा भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं, दलितों व मुस्लिमों पर अत्याचार व गोरक्षकों की हिंसा के मुद्दे को लेकर बाधित हुई।
राज्यसभा में किसानों व खेती के संकट, गुजरात के कांग्रेसी विधायकों की खरीद-फरोख्त, 500 रुपये के नोटों के आकार, कर्नाटक में मंत्री के यहां आयकर के छापों व मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नाम बदलने व कुछ अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा हुआ।
मानसून सत्र के दौरान सदन ने नौ सरकारी विधेयक को पारित किए गए। इसमें फुटवेयर डिजाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट विधेयक, नौसेना (नौसैनिक दावों के निपटान व अधिकार क्षेत्र) विधेयक, सांख्यिकी संग्रह (संशोधन) विधेयक व राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान व विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।
ऊपरी सदन द्वारा पारित दूसरे विधेयकों में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक-निजी साझेदारी) विधेयक, संविधान (123वें संशोधन) विधेयक, बच्चों की मुफ्त व जरूरी शिक्षा का अधिकार विधेयक, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) विधेयक और बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2017 को राज्य सभा की प्रवर समिति को भेजा गया।फाइनेंशियल रिजोल्यूशन व डिपोजिट इंश्योरेंशन विधेयक 2017 को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा गया। इसके अलावा तीन सरकारी विधेयकों को वापस ले लिया गया।
इस सत्र के दौरान गोवा व मध्य प्रदेश से चुने गए दो नए सदस्यों क्रमश: विनय दीनू तेंदुलकर व संपतिया उइके सदन में शामिल हुए। मानसून सत्र के दौरान बसपा प्रमुख मायावती व भाजपा के एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा से इस्तीफा दिया।
सदन ने 11 पूर्व सदस्यों सहित राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों अनिल माधव दवे, पलवी गोवर्धन रेड्डी के निधन पर शोक व्यक्त किया। राज्यसभा में भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा की गई। इस मौके पर कई दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे और सदन ने सर्वसम्मति से एक संकल्प पारित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सदन के सदस्यों ने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को विदाई दी। इसके अलावा गुजरात व पश्चिम बंगाल के नौ प्रतिनिधियों को भी विदाई दी गई, जिनका कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो रहा है।